नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 82वां दिन है. गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. फिलहाल इस गतिरोध का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. इस बीच आंदोलनकारी किसानों ने एकबार फिर से अपने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है. प्रदर्शनकारी किसानों ने 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको अभियान का ऐलान किया है. किसानों ने ऐलान किया है कि 18 फरवरी को 4 घंटे तक पूरे देश में रेल रोको अभियान चलाया जाएगा.
किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है. किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 2 अक्टूबर तक सरकार हर हाल में कृषि कानूनों को वापस ले ले. वहीं सरकार का कहना है कि वो इसमें संशोधन के तैयार है लेकिन कृषि कानून वापस नहीं होगा.
आपको बता दे कि खुद प्रधानमंत्री मोदी किसानों से कृषि कानून पर चर्चा और इसमें बदलाव की बात कह चुके हैं. उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है. इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है. प्रधानमंत्री का कहना है कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ. ये सच्चाई है. इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीद भी बढ़ी है. उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, ‘आइये, बातचीत की टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें.’
आपको बता दें कि इन कानूनों को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 11 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं.
गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं. लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है. बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है.