नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने UPSC सिविल सर्विसेज प्रीलिम्स 2021 के एक्सट्रा अटेम्ट्ं के मामले में आयुसीमा पार करने वाले प्रत्याशियों को राहत नहीं दी है. कोर्ट ने ऐसे प्रत्याशियों को अतिरिक्त मौका देने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत का ये फैसला 2000 से ज्यादा प्रत्याशियों के लिए एक बड़ा झटका है. ऐसे प्रत्याशियों का कोरोना के चलते साल 2020 में अंतिम प्रयास पूरा हो चुका था. याचिकाकर्ता चाहते थे कि आयु सीमा (Age Limit) को एक बार के उपाय के रूप में हटा दिया जाए, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो यूपीएससी परीक्षा में आयु वर्जित हो चुके उम्मीदवारों को भी एक मौका देने पर विचार करें. लेकिन केंद्र ने यूपीएससी के उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने के लिए सहमति व्यक्त की थी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जिन्होंने 2020 की परीक्षा में अपने सभी अवसरों को समाप्त कर दिया था, उनमें से जो उम्मीदवार आयु सीमा के भीतर हैं, केवल उन्हें ही अतिरिक्त मौका दिया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महामारी की स्थिति असाधारण थी. इनमें से कुछ उम्मीदवार आवश्यक सेवाओं में सेवारत थे. कुछ वास्तविक मामले भी हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता हर वर्ग के लिए एक बार की छूट मांग रहे हैं. केंद्र को इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इस बार हालात असाधारण रहे. अदालत इस नीतिगत मामले में सरकार को आदेश नहीं देना चाहती. अदालत ने केंद्र सरकार से मंगलवार को इसके बारे में बताने को कहा था और आज इस मामले पर फिर से सुनवाई की गई.
बता दें कि सिविल सेवा परीक्षा ) में सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम आयु 32 साल, ओबीसी के लिए 35 और एससी/ एसटी के लिए ये आयु 37 साल है. लेकिन, इससे पहले भी आयु सीमा पर फैसले बदले गए थे. ऐसे में आयु सीमा पार होने पर एक बार के लिए उम्मीदवारों को छूट देनी चाहिए. 1992 में अतिरिक्त मौका दिया गया था, जबकि 2015 में आयु पर छूट दी गई. अगर आयु में छूट नहीं दी गई तो एससी/ एसटी उम्मीदवारों को नुक्सान होगा. सिर्फ 2236 उम्मीदवारों को फायदा होगा अगर आयु में छूट दी जाती है.