रांची: झारखंड अधिविद् परिषद ने राज्य के 186 मदरसों की 5वीं बार जांच का आदेश दिया है. जैक द्वारा जांच के आदेश जारी किए जाने के बाद राज्य भर के मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों में काफी आक्रोश है. इस संबंध में, जामताड़ा विधायक सह अध्यक्ष राज्य हज समिति डॉ इरफान अंसारी के नेतृत्व में झारखण्ड प्रदेश मदरसा – संस्कृत शिक्षक समन्वे समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. झारखंड विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री के चैंबर में मुलाकात के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम , कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी और विधायक बंधु तुर्की भी मौजूद थे. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान में मदरसों की जांच (भौतिक सत्यापन) उपायुक्त, अंचल अधिकारी, आरडीडी और डीईओ के स्तर पर चार बार किया जा चुका है. जिसके बाद झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा शिक्षा विभाग को जांच रिपोर्ट प्रदान की गई . इसके बावजुद शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी बार-बार मदरसों की जांच के नाम पर शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि जैक द्वारा विभाग को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के अनुसार 143 मदरसे सभी मानक मण्डलों को पुर्ण रूप से पुरा करते है बाकी मदरसे 95 प्रतिशत मानका मण्डल को पूरा करते हैं. लेकिन 8 फरवरी, 2021 को जैक द्वारा पांचवीं सभी मदरसों की जांच का आदेश जारी कर दिया गया, जो मदरसों के साथ अन्याय है और मदरसों को बंद करने की साजिश है. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि अगर पांचवीं जांच का आदेश वापस नहीं लिया गया, तो ऑल झारखंड मदरसा शिक्षक संघ और मदरसा प्रबंध समिति और शिक्षक जांच का विरोध करेंगे. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि 2014 में कैबिनेट ने अल्पसंख्यक स्कूलों की तरह राज्य के 186 मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों को पेंशन लाभ प्रदान करने का निर्णय लिया था. लेकिन जब राज्य में भाजपा सरकार सत्ता में आई तो उसने भेद भाव की नीति अपनाते हुए पेंशन पर कैबिनेट के फैसले को रद्द कर दिया.
मदरसों की पुनःजांच पर रोक लगाई जाएः आलमगीर
मंत्री आलमगीर आलम ने मदरसों की पुनः जांच पर रोक लगाने की मुख्यमंत्री से मांग की है. उन्होंने कहा कि जब मदरसे सभी मानक मण्डलों को पुरा करते हैं तो मदरसों की पुनः जांच की क्या आवश्यकता है. उन्होंने मदरसों की पुनः जांच के आदेश पर रोक लगाने हेतु मुख्यमंत्री से उचित कार्रवाई की ंअपील की है.
मदरसों के साथ घोर अन्याय हो रहा हैःइरफान
मौके पर विधायक इरफान अंसारी ने कहा की मदरसों को जानबूझकर एक साजिश के तहत जैक द्वारा परेशान एवं प्रताड़ित किया जा रहा है . जब सभी मदरसे मानक शर्तों को पूरा करते हैं तो बार-बार जैक भौतिक सत्यापन के नाम पर मदरसों को परेशान क्यों कर रहा है. यह न्याय संगत नहीं है. जैक में बैठे कुछ अधिकारी आरएसएस माइंडेड हैं जो जानबूझकर मदरसों के साथ गलत कर रहे हैं. लॉकडाउन होने के कारण मदरसों की वित्तीय हालत भी सही नहीं है और ऐसे में बार-बार पदाधिकारियों द्वारा मनमानी करना बिल्कुल गलत है. यह मदरसों के साथ घोर अन्याय है.
मदरसा कर्मियों को पेंशन दिया जाएः बंधु
विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि मदसों में गरीब बच्चे पढाई करते हैं, एसे में इन्हे बार बार जांच के नाम पर परेशान करने कहीं से भी उचित नही है. उन्होंने कहा कि 2014 में तत्कालिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरने की अध्यक्षता में मंत्रीपरिषद की बैठक में इन मदरसों के कर्मियों का अल्पसंख्यक विद्यालयों की भांति पेंशन देने का फैसला लिय था जिसे रघुवर दास की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने रद्द कर दिया जा सरासर गलत है. उन्होंने मदरसा कर्मियों को पेंशन देने की वकालत की.
प्रतिनिधिमंडल को सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार में मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों को साथ न्याय मिलेगा. उन्होंने आश्वासन दिया कि मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाएगा. साथ ही मदरसों की सभी समस्याओं को जल्द से जल्द हल किया जाएगा. प्रतिनिधिमंडल में झारखण्ड प्रदेश मदरसा – संस्कृत शिक्षक समन्वे समिति के महासचिव हामिद गाजी, शरफुद्दीन रशीदी, मौलाना शुजाउल हक, मुस्लिम हुसैन, जफर आदिल और मुहम्मद शहाबुद्दीन शामिल थे.