पूर्वी दिल्ली के नामी गुरु तेग बहादुर अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने कैंपस स्थित एक इमारत से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। मृतक की पहचान डॉ. पल्लव सहारिया (44) के रूप में हुई है। पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। अब तक की जांच में कारणों का पता नहीं चला है। पुलिस ने शव को जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया है। रविवार को उनके परिजन के असम से यहां पहुंचने के बाद पोस्टमार्टम किया जाएगा। शुरुआती जांच में पुलिस मानसिक तनाव की वजह से यह कदम उठाने की आशंका जता रही है।
मूल रूप से गुवाहाटी, असम के रहने वाले डॉ. पल्लव पैथोलॉजिस्ट थे। वह नोएडा में एक निजी पैथ लैब में कार्यरत थे। उनकी पत्नी डॉ. प्रियंका गोगोई जीटीबी अस्पताल में ब्लड बैंक के प्रमुख के पद पर कार्यरत हैं। इस वजह से अस्पताल परिसर में ही स्टॉफ क्वार्टर में आठवीं मंजिल पर उन्हें फ्लैट आवंटित है।
शनिवार सुबह करीब दस बजे डॉ. प्रियंका अस्पताल चली गईं, दोनों बच्चे स्कूल जा चुके थे। सुबह करीब साढ़े दस बजे डॉ. पल्लव को नोएडा स्थित कार्यालय के निकलना था, लेकिन उन्होंने आठवीं मंजिल से नीचे छलांग लगा दी। आस पड़ोस के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और खून से लथपथ डॉ. पल्लव को अस्पताल की इमरजेंसी में ले गए, वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने डॉ. पल्लव के फ्लैट की तलाशी ली, लेकिन वहां से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ। डॉ. प्रियंका और अन्य परिजन से पूछताछ में भी कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन अस्पताल परिसर में हुई घटना से हर कोई हैरान है। डॉ. प्रियंका को करीब से जानने वाले डॉक्टरों ने बताया कि घर में किसी तरह का विवाद नहीं था।
ऐसे में पुलिस के लिए यह मामला पहेली बन गई है। जीटीबी अस्पताल परिसर में तीन साल में डॉक्टर की आत्महत्या का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 31 अगस्त, 2016 में अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरकेबी चौधरी ने पांचवीं मंजिल से छलांग लगाकर जान दे दी थी।
इस मामले में परिजन ने अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। इसके अलावा जनवरी, 2018 में जीटीबी अस्पताल परिसर स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) में पीजी (मेडिसिन) के प्रथम वर्ष के छात्र डॉ. शरत प्रभु ने दिलशाद गार्डन स्थित फ्लैट पर नशे का इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या कर ली थी।