रांची : झारखंड के वित्त सह योजना मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि गरीब, किसान, मजदूर एवं भूमिहीन लोगों का हित ही सरकार की प्राथमिकता है. किसान जन्म से लेकर मरण तक कर्ज में जीता है. कर्जविहीन किसान ही प्रदेश की खुशहाली की पहचान है. वे आज रांची के बिरसा विश्वविद्यालय कृषि परिसर में आयोजित पूर्वी क्षेत्र कृषि मेला एवं एग्रोटेक-2021 किसान मेला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोरोना के कारण किसानों की कर्ज माफी में देरी हुई. राज्य की वित्त व्यवस्था में सुधार होते ही अगले वर्ष किसानों की एक लाख तक के लोन सरकार माफ करेगी. उन्होंने कृषि उत्पादन को बाजार से जोड़ने, किसानों को कम कृषि लागत से उचित मूल्य और अधिक मुनाफा से किसानों की आय बढ़ाने और किसानों के कल्याण में हर संभव मदद की बात कही है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय एवं विस्तार निदेशालय, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में इसका आयोजन किया गया था.
डॉ उरांव ने कहा कि देश में किसानों के हित में अनेकों रिसर्च हो रहे हैं. रिसर्च से मिली तकनीकों का आदिवासी किसानों को गांवों तक लाभ दिलाने की कोशिश होनी चाहिए. विशिष्ट अतिथि खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने कोरोनाकाल में जान जोखिम में रखकर किसानों के खेती-खलहानी तथा देश की अर्थव्यवस्था बनाये रखने में योगदान की सराहना की.
मौके पर प्रगतिशील किसान शिव उरांव ने कृषि कर्ज माफी पर वित्त मंत्री डॉ उरांव का आभार जताया. उन्होंने कहा कि कृषि विवि के गांवों में कार्यक्रमों से अच्छे परिणाम दिखने लगे हैं. किसान स्वालंबन और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहे हैं.
समारोह में दस सदस्यीय किसानों के दल ने कृषि कर्ज माफी पर आभार जताते हुए वित्त मंत्री डॉ उरांव को माला पहनाकर आभार जताया. इस अवसर पर वित्त मंत्री और विधायक ने कृषि कार्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिए किसानों में शंकर सोरेन, शंकर महली, जगदीश महतो, कृष्ण कुमार राय, नरेश महतो, धनेश्वर महतो, मुन्नी देवी, सुधाकर मंदेवाल एवं अनिसूर रहमान और मास के विजय भरत को सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन शशि सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ जगरनाथ उरांव ने दी.
मेले में कृषक महिलाओं में बीएयू के विकसित मक्का की किस्म बिरसा बेबी कॉर्न -1 और कंपोजिट किस्म बिरसा मक्का 3 के प्रति काफी रूचि देखी गई. डॉ चक्रवर्ती ने कहा कि इन दोनों किस्मों से दोगुनी आमदनी को देखते हुए राज्य के कृषक महिलाओं में बेबी कॉर्न की व्यावसायिक खेती लाभप्रद साबित होगी.