रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में आज से वित्तीय वर्ष 2021-22 की अनुदान मांग पर चर्चा शुरू होगी. अनुदान की मांगे सरकार द्वारा पेश किये बजटों का अहम हिस्सा होता है. अनुदान मांग की चर्चा को लेकर सत्तापक्ष के सभी सदस्यों को सभा में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है.
आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि अनुदान की मांगे हर मंत्रालय अपनी जरूरतों के हिसाब से तैयार कर वित्त विभाग को भेजता है. वित्त विभाग संयुक्त रूप से सभी मंत्रालयों से प्राप्त अनुदानों की मांगो को बजट के साथ विधान सभा में पेश करता है. अनुदान की मांग में भारित व्यय और मतदेय व्यय का उल्लेख होगा साथ ही रेवेन्यू एक्सपेंडिचर और कैपिटल एक्सपेंडिचर, किसी सेवा या स्कीम के लिये व्यय और कुल योग रहता है तथा लेखा शीर्ष यानि एकाउंट्स हेड का उल्लेख होता है. संविधान के अनुच्छेद 203के खंड 2के अनुसार बजट में शामिल राज्य की समेकित निधि में से किये जाने वाले व्यय के वे सभी अनुमान जो इस निधि पर भारित नही हैं, अनुदान की मांग की मांगो के रूप में रख कर विधान सभा से मत प्राप्त किया जायेगा. सरकारें बजट तो बनाती हैं, आय व्यय का एस्टीमेट तैयार करती हैं, राजस्व की वसूली करती हैं, परन्तु देश या राज्यों की संचित निधि से एक पैसा भी अपने से नही निकाल सकती हैं . सरकारी खजाने से बजटमें शामिल अनुमानित व्यय प्राकक्लन की निकासी के लिये राज्य सरकार को विधान सभा से मत प्राप्त करना जरुरी होता है . अनुदानों की मांगे सरकारों द्वारा पेश किये बजटों का अहम हिस्सा होती हैं.
सरकार पर विधायिका के नियंत्रण की यह विधायी व्यवस्था लोकतंत्र की खूबसूरती है . बजट का पास होना बजट भाषण, सामान्य चर्चा, अनुदान की मांग चर्चा और विधान सभा से मत प्राप्ति के बाद सभी अनुदान की मांगो को सम्मिलित कर विनियोग विधेयक का अधिनियमिन होता है विनियोग विधेयक पास करने के पहले अनुदान की मांगो पर विधान सभा की सहमति पा लेना जरुरी होता है . बजट के पैसों की निकासी के लिये राज्य सरकार को विधान सभा से अनुमति जरुरी है.