नई दिल्लीः 8 अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 के बीच भारत में 10,000 से ज्याोदा कंपनियों ने स्वेेच्छा् से अपना काम बंद कर दिया. यह वही वक्तत है जब देश में कोरोना वायरस महामारी फैली थी और संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने राष्ट्र व्याकपी लॉकडाउन लगाया था. इस वजह से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं. कॉरपोरेट मामलो के मंत्रालय के पास उपलब्धल ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल, 2020 से लेकर इस साल फरवरी तक कुल 10,113 कंपनियों ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2482) के तहत स्वेिच्छा से कारोबार बंद करने के लिए आवेदन दिया है.
धारा 2482) उन कंपनियों को स्वेिच्छाे से अपना कारोबार बंद करने की अनुमति देती है, जिनपर कोई कानूनी कार्रवाई न चल रही हो. सोमवार को संसद में एक लिखित उत्तसर में वित्तछ राज्यं मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि कारोबार बंद कर चुकी कंपनियों का रिकॉर्ड मंत्रालय के पास नहीं रखा जाता है. उन्होंंने बताया कि 2020-21 में अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 तक कुल 10,113 कंपिनयों ने धारा 2482) के तहत कारोबार स्वेाच्छां से बंद करने के लिए आवेदन दिया है.
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कारोबर बंद करने वाली कुल कंपनियों में से 2,394 कंपनियां दिल्लीि की और 1936 कंपनियां उत्त0र प्रदेश की हैं. अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान तमिलनाडु में 1322 कंपनियां और महाराष्ट्री में 1279 कंपनियां बंद हुई हैं. कर्नाटक में 836, चंडीगढ़ में 501, राजस्थाेन में 479, तेलंगाना में 404, केरल में 307, झारखंड में 137, मध्य प्रदेश में 111 और बिहार में 104 कंपनियों ने अपना कारोबार बंद किया है.
मेघालय में 88, ओडिशा में 78, छत्तीयसगढ़ में 47, गोवा में 36, पोंडिचेरी में 31, गुजरात में 17, पश्चिम बंगाल में 4 और अंडमान एवं निकोबार में 2 कंपनियों ने अपना कारोबार बंद किया है. महामारी के चलते केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च 2020 से राष्ट्र,व्यामपी लॉकडाउन की घोषणा की थी. मई के बाद से प्रतिबंधों में ढील देना शुरू किया गया.