असम (NRC) में शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच एनआरसी (NRCV) लिस्ट जारी की गई। 3,11,21,004 लोगों को NRC लिस्ट में शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 लोगों को इसमें जगह नहीं दी गई है। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कोई दावा नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो लोग इससे सहमत नहीं हैं वे ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। इसे लेकर कई नेताओं ने नाराजगी जाहिर की।
बीजेपी नेता और असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) की सूची को “दोषपूर्ण” बताया और कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी राज्य के कुछ हिस्सों में सूची के पुनर्मूल्यांकन के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उधर, जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की। जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ‘NRC की फाइनल लिस्ट ने लाखों लोगों को उनके अपने ही देश में विदेशी बना दिया। जब राजनीतिक दिखावे और भाषण कला को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जटिल मुद्दों का बिना रणनीति और व्यवस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए बिना गलती से एक समाधान के रूप में ले लिया जाता है तो लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।’
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NRC की फाइनल लिस्ट को एक ‘विफलता’ बताया और कहा कि इसने उन सभी को उजागर कर दिया है जो इसे लेकर ‘राजनीतिक फायदा’ हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। बनर्जी ने बड़ी संख्या में बंगालियों को एनआरसी की अंतिम सूची से ‘बाहर’ रखे जाने पर भी चिंता जताई। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘एनआरसी की विफलता ने उन सभी लोगों को उजागर कर दिया है जो इससे राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें देश को बहुत जवाब देने है।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसा तब होता है जब कोई कार्य समाज की भलाई और देश के व्यापक हित के बजाय गलत उद्देश्य के लिए किया जाये।’