सभी लोग गणेश चतुर्थी के घर में गजानन की स्थापना करते हैं। गजानन की स्थापना इसलिए की जाती है जिससे घर में सुख-शांति बने रहे। इस दिन कई शहरों में भगवान गणेश की झाकियां भी सजाई जाती हैं। वहीं स्थापना के दौरान सभी लोग पूजा- अर्चना भी करते हैं। गजानन की पूजा करने का शुभ-मुहर्त दिन में अपराह्न 3 बजकर 15 मिनट से पहले गणेश विग्रह की विधिवत स्थापना कर लें। इसके उपरांत भद्रा लग जाएगी। भद्रा रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी ।
दोपहर में अभिजित मुहूर्त गणेश पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। इसका समय 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक है। सपरिवार भगवान विनायक के विग्रह का षोडशोपचार से पूजन करें। मोदकों का भोग लगाएं। पट्टी-पुस्तक का पूजन करें। तत्पश्चात् सौभाग्यवती माताएं हरितालिका व्रत और गणेश चतुर्थी के व्रत को शांतिपूर्वक पूर्ण करें।
गणेश चतुर्थी भोर में 4 बजकर 56 मिनट पर आरंभ होकर रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। जो लोग व्रत रख रहे हैं वह इसे अगले दिन पूर्ण कर सकते हैं। चंद्रदर्शन और पूजन इस दिन निषिद्ध रहता है। ऐसे में वे व्रत को दोपहर की पूजा के बाद भी पूर्ण कर सकते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने और दर्शन करने से बचा जाता है। गणेश चतुर्थी को चंद्रदर्शन अकारण के आरोप और आक्षेप लगने का कारक माना जाता है।
आज हरितालिका तीज भी है। यह व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है। लेकिन व्रत के अगले दिन गणेश चौथ आती है। श्रेष्ठ संतान और परिवार के सुख के लिए माताएं हरितालिका व्रत में निराहार निर्जला रहती हैं। रात्रि में जागरण और पार्वती-महादेव की पूजा करती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में शिव-गौरी की आरती पूजन और विसर्जन कर गणेश पूजन की तैयारी करती हैं। वहीं इसके साथ अपने उपवास को भी खत्म करती हैं।