कोलकाताः बंगाल विधानसभा चुनाव में एक बाद एक नेता व सियासी पार्टियां एक दूसरे के पुराने चिट्ठे खोल रहे हैं और एक-एक कर खामियां से लेकर बयान तक को गिना रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जंगलमहल के पुरुलिया की रैली से मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी पर एक के बाद एक कई शब्द वाण चलाए. यही नहीं ममता द्वारा एक दशक पूर्व दिए गए बयानों का जिक्र कर उन्हें घेरना नहीं भुले. उन्होंने कहा कि पूरा बंगाल जानता है कि कोयला माफिया, बालू माफिया को यहां किसका संरक्षण मिला है. बाटला हाउस एनकाउंटर से लेकर माओवादी के मुद्दे को उठाया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अपने राजनीतिक लाभ के लिए दीदी यानी ममता बनर्जी की सरकार माओवादी हिंसा को भी बढ़ावा देती है. माओवादी और ममता कनेक्शन कहां से निकला,इसका एक चिट्ठा है. वर्ष 2010 की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जंगलमहल के ही लालगढ़ में अपने भाषण में ममता ने पुलिस मुठभेड़ में मारे गए वरिष्ठ माओवादी नेता व प्रवक्ता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद की मौत को हत्या बताया था. यही नहीं हिंसा त्यागने को लेकर ममता की मध्यस्थता पर भी बात हुई थी. मध्यस्थता को लेकर माओवादी के पोलित ब्यूरो के सदस्य कोटेश्वर राव यानी किशनजी ने कहा था कि अगर वह राजी होती हैं तो उन्हें इस पर कोई ऐतराज नहीं होगा. इसके बाद ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगे थे. विपक्षी नेताओं ने उस समय कहा था कि ममता की लालगढ़ में आयोजित रैली को माओवादियों का समर्थन हासिल था. माओवादियों के प्रवक्ता आजाद के समर्थन में खड़ी होने वालीं तृणमूल प्रमुख पर सवाल उठने लगे थे. कभी माओवादियों को हिंसा का रास्ता छोड़ने के मुद्दे की मध्यस्थता करने को लेकर चर्चा में रही ममता फिर से अपने सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी के बयान के बाद चर्चा में आ गईं थी. अभिषेक बनर्जी 2015 में पश्चिम मेदिनीपुर के बेलपहाड़ी में एक जनसभा कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने वर्ष 2011 में खूंखार माओवादी नेता किशन जी को मार गिराया था. 24 नवंबर 2011 में कोबरा बटालियन के जवानों ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था.
इस समय पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो तृणमूल कांग्रेस के राज्य कमेटी के सदस्य है. छत्रधर महतो इस समय तृणमूल के चुनाव प्रचार में जुटे हैं. छत्रधर माओवादी से टीएमसी में शामिल हुए थे. इन सबके बीच यह भी जानना अहम है कि छत्रधर माओवादी नेता शशधर महतो के भाई हैं. शशधर को मार्च 2011 में हुए एनकाउंटर में मार गिराया गया था. माओवादी संबंधों की वजह से छत्रधर भी 11 साल तक जेल में रहे और अब भी उसके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआइए) जांच कर रही है.