नई दिल्लीः : देश में कोरोना का कहर थमा नहीं है. इस वायरस के चलते लाखों लोगों को अपने नौकरियां से हाथ धोना पड़ा. वहीं संक्रमण के चलते कर्मचारियों को अपने शहरों और गांवों की तरफ रुख करना पड़ा है. कई कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दूसरी संस्थान ज्वाइन कर ली. साथ ही कई ऐसे लोग है जिन्होंने समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया. दरअसल जॉब से इस्तीफा देने के बाद अकसर कर्मचारी ईपीएफओ को ट्रांसफर नहीं करते हैं. ऐसे में आइए जानतें है पीएफ अकाउंट और उसमें जमा पैसों का क्या होता है.
पीएफ अकाउंट में 36 महीने तक कोई कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं होने पर खाता निष्क्रिय श्रेणी में चला जाता है. ऐसे में अकाउंट चालू रखने के लिए कुछ रकम तीन साल से पहले निकालना जरूरी है. ईपीएफओ के मौजूदा नियमों के तहत अगर कोई 55 साल की आयु में रिटायरमेंट लेता है. उसके 36 महीने के अंदर जमा रकम निकालने के लिए आवेदन करना जरूरी है, वरना खाता निष्क्रिय हो जाता है. ऐसे में संस्थान छोड़ने के बाद भी पीएफ खाते में ब्याज मिलता रहेगा और 55 साल की उम्र तक बंद नहीं होगा. नियमों के तहत कॉन्ट्रिब्यूशन न करने पर पीएफ खाता निष्क्रिय नहीं होता, लेकिन मिले ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है. ईपीएफ अकाउंट के निष्क्रिय होने पर क्लेम नहीं किया जाए तो रकम सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड में चली जाती है. बता दें क्लेम नहीं की गई रकम को खाते के 7 साल तक निष्क्रिय रहने पर फंड में ट्रांसफर किया जा सकता है. पीएफ खाते की ट्रांसफर हुई बिना क्लेम वाली राशि 25 वर्ष तक सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड में रहती है. इस दौरान सब्सक्राइबर रकम पर दावा कर सकते हैं. गौरतलब कि पुरानी संस्थान के पास ईपीएफओ के पैसों को छोड़ने पर कुछ लाभ नहीं होता है, क्योंकि कमाए गए ब्याज पर टैक्स लगता है.