अंतराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर झारखंड की राजधानी रांची के प्रभात तारा मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ भारी संख्या में लोग योगासन करेंगे । इस बार का अंतराष्ट्रीय योग दिवस योग फ़ॉर हार्ट थीम लाइन के साथ है, जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर है ।जंहा विधि व्यवस्था के साथ सुरक्षा के भी पुख्ते इंतेज़ाम किए जा रहे है । वंही बुधवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास कार्यक्रम स्थल पहुँच कर स्थल का निरक्षण किए ।
कार्यक्रम पुरे 45 मिनट तक चलेगी । राज्य योग केंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत योग प्रार्थना के साथ होगी जिसके बाद योग प्रशिक्षक की मौजूदगी में सबसे पहले फ्री हैंड कराया जाएगा । उसके बाद योगासन की अलग-अलग क्रियाएं होंगी ।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आपको योगासन के जानकारियां होनी चाहिए जिसे लेकर इसकी ट्रेनिंग रांची के योग सेंटर के साथ-साथ पतंजलि के सेंटर में कराई जा रही है ।
असल में, भारत की पहल पर दुनियाभर में 21 जून को मनाए जाने वाले विश्व योग दिवस का काउंटडाउन शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र समेत कई देश इसके लिए बड़ा आयोजन करने में जुटे हैं तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके लिए तैयार हैं। पिछले बुधवार को पीएम मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर त्रिकोणासन का वीडियो साझा किया। जिसमें उनका एक थ्रीडी वर्ज़न कार्टून त्रिकोणासन कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘21 जून को हम सभी योग दिवस मनाएंगे. मैं हर किसी से आह्वान करता हूं कि वह योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। योग से होने वाले फायदे शानदार होते हैं।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री हर बार इस तरह के वीडियो ट्वीट करते हैं और योग के हर आसान की विस्तार से जानकारी देते हैं। हर किसी को पता है कि पीएम मोदी खुद सुबह योग करते हैं और फिट रहते हैं।
हर साल की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री 21 जून को सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस बार वह झारखंड की राजधानी रांची में आम लोगों के साथ योग करेंगे। इससे पहले वह राजधानी दिल्ली, उत्तराखंड के देहरादून, चंडीगढ़ और लखनऊ में योग दिवस पर हिस्सा ले चुके हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों के कारण ही 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने का ऐलान किया था। भारत के प्रस्ताव पर 170 से अधिक देशों ने मंजूरी जताई थी, जो संयुक्त राष्ट्र में इतिहास था।