रांची:झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और डा राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि किसानों के लिए बनाये गये तीन नये केंद्रीय कानून पर चर्चा के प्रस्ताव की बात करने से ही भाजपा नेताओं की बेचैनी बढ़ जाती है और उन्हें यह भय सताने लगता है कि पूंजीपति मित्रों से सांठगांठ का पोल ना खुल जाए.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि पिछले वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में ही आनन-फानन में तीन नये कृषि कानून को लेकर पहले अध्यादेश लाया गया और फिर संक्रमणकाल में ही संसद में चर्चा कराये बिना और विपक्षी सदस्यों के तमाम विरोध के बावजूद संसदीय परंपरा और नियमों की अनदेखी कर पारित करा लिया गया, उसे लेकर देशभर में आक्रोश है. देशभर के किसान पिछले कई महीने से आंदोलनरत है, सड़कों पर धरना-प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन केंद्र सरकार इसे वापस लेने के बजाय येन-केन-प्राकरेण किसानों की आवाज को दबाने में जुटी है. यही कारण है कि जब सोमवार को सिर्फ विधानसभा में केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानून पर विशेष चर्चा की समय सीमा निर्धारित की गयी है, तो भाजपा नेता इस कानून की अच्छाईयों को बताने की जगह बहस से ही भागने की भूमिका बना रहे है. संविधान की अनुसूची 256 (2) के तहत प्रस्ताव पारित कर इस कानून को राज्य में लागू करने के प्रभाव को बेअसर किया जा सकता है.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में इस कृषि कानून पर चर्चा हुई और विरोध में प्रस्ताव पारित किये गये. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश , हरियाणा समेत अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी आम किसान इस कानून का जोरदार तरीके से विरोध कर रहे है.
प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि कृषि जैसे मुद्दे पर राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है, जबकि संघीय ढांचे की भावना के प्रतिकुल केंद्र सरकार ने राज्यों से जुड़े मसले पर संसद के माध्यम से कानून थोपने का काम किया है, इस कानून की वापसी होने तक पार्टी विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.