विधानसभा में संशोधन विधेयक को मिली मंजूरी,हुक्का बार को सार्वजनिक हित में पूरी तरह से प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए
रांची. झारखंड विधानसभा में सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन) (झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी. इसके तहत अब राज्य में पब्लिक प्लेस में सिगरेट पीने पर 1 हजार रुपया जुर्माना लगेगा. पहले 200 रुपए लगता था. संशोधन के तहत अब पांच गुणा बढ़ाया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि तम्बाकू सेवन देश की तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है. हर साल भारत में तम्बाकू सेवन से होने वाली बीमारियों से लगभग 13.5 लाख लोगों की मौत हो रही है. यह देश की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. भारत में कैंसर से मरने वाले 100 रोगियों में से 40 रोगी तम्बाकू सेवन के कारण मरते है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक धूम्रपान करने वालों में यक्ष्मा की बीमारी होने का खतरा कई गुना ज्यादा होता है. उनहोंने यूं तो तम्बाकू का उपयोग पूरी दुनियाँ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. लेकिन इसका कारोबार और उपयोग विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. तम्बाकू उत्पाद से बच्चे, अवयस्क एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है. बन्ना गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के द्वितीय ग्लोबल एडल्ट टोबैकों सर्वे जो वर्ष 2017-18 में जारी किया गया; के अनुसार झारखण्ड में 59.7 प्रतिशत पुरूष एवं 17.0 प्रतिशत महिला तम्बाकू का सेवन करते है.
द्वितीय ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के आकड़ो के अनुसार किसी भवन में कार्य करने वाला प्रत्येक चौथा व्यक्ति कार्यस्थल पर अप्रत्यक्ष रूप में धुम्रपान के सम्पर्क में आता हैं जबकि 22.5 प्रतिशत वयस्क किसी भी सार्वजनिक स्थल पर अप्रत्यक्ष रूप से धुम्रपान के सम्पर्क में होता है.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि होटल, बियर बार एवं कैफे में हुक्का पीना विशेषकर शहरी युवाओं में काफी प्रचलित हो गया है विशेष रूप से अवयस्कों, युवाओं एवं कालेज छात्रों के बीच, जो निःसंदेह समग्र समाज के लिए एक चिन्ताप्रद विषय हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन के अनुसार हुक्का पीना सिगरेट के धुँए से ज्यादा जहरीला होता है. हुक्का का प्रयोग अकेले या कई व्यक्तियों द्वारा एक ही पाइप के माध्यम से कई उपयोगकर्त्ताओं द्वारा एक साथ किया जाता है. जब लोग हुक्का साझा करते है तो मुँह के छाले, तपेदिक ), हेपिटाईटिस, इन्फ्लुएन्जा, स्वाइन फ्लू एवं कोविड-19 जैसे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा होता है. राज्य सरकार लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्ध है और इसलिए लोगों को सार्वजनिक रूप से धुम्रपान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
उन्होंन ेकहा कि राज्य सरकार का मानना है कि हुक्का बार को सार्वजनिक हित में पूरी तरह से प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए. इससे लोगों को खासतौर पर अवयस्कों, युवाओं और स्कूल कॉलेज के छात्रों को प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष धुम्रपान के खतरों से बचाया जा सकता है. गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान की राज्य सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयकों को पारित कर दिया है. इसी प्रकार तम्बाकू के प्रयोग के खतरों से हमारी भावी पीढ़ी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तम्बाकू उत्पादों की बिक्री के लिए न्यूनतम कानूनी आयु को अठारह (18) से बढ़ाकर इक्कीस (21) वर्ष करने की आवश्यकता है. साथ ही