बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विजय सिंह की जमानत अर्जी खारिज हो गयी है। इलाहाबाद की नैनी जेल में सजा काट रहे पूर्व विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी लगायी थी। सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस इंद्राणी बनर्जी और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने की बेंच ने पूर्व विधायक की अर्जी नामंजूर कर दी। अदालत के इस फैसले से विजय सिंह के परिवार व समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है। याचिका में विजय सिंह के खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर राहत देने की मांग की गयी थी। उधर पूर्व विधायक विजय सिंह के भतीजे करन सिंह ने बताया कि अब वह सीजेआई के सामने याचिका दायर करेंगे।
विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने बताया कि विजय सिंह एक नहीं बल्कि दो हत्याओं का दोषी है। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है। हम उनके निर्णय का स्वागत करते हैं। विधायक ने कहा कि कोई भी विजय सिंह के परिजन जमानत के कहीं भी याचिका दाखिल कर सकते हैं, यह उनका अधिकार है। लेकिन जहां तक मुझे जानकारी है, दोषी को जमानत देने या न देने का निर्णय मामले की सुनवाई करने वाली बेंच ही तय करेगी।
बीजेपा नेता व फर्रूखाबाद से विधायक रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी कल्याण सिंह सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रहे चुके थे। सपा विधायक रहे विजय सिंह और द्विवेदी के बीच रंजिश जगजाहिर थी। 20 फरवरी 1997 में एक समारोह से निकले समय उनकी हत्या कर दी गयी थी। इस हत्याकांड में विजय सिंह का नाम व संजीव माहेश्वरी का नाम आया था। इस हत्याकांड में फर्रूखाबाद की कोर्ट ने विजय सिंह और संजीव को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी। बाद में लंबी सुनवाई के बाद वर्ष 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिली और आजीवन कारावास की सजा बरकरार रही।
ब्रह्मदत्त द्विवेदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काफी खास थे। वकील और कवि श्री द्विवेदी की जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे, राम मंदिर आंदालेन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। इसके अलावा लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड के समय ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने बसपा प्रमुख मायावती को सपा नेताओं से बचाया था। उनकी तेजी से बढती लोकप्रियता ने विरोधी दलों के साथ ही बीजेपी में भी तमाम दुश्मन पैदा कर दिए थे।