रांचीः झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजकर झारखंड के कई जिलों में कोर्ट फी टिकट नही मिलने की शिकायत की है. जिससे अधिवक्ताओ को तो कठिनाई हो रही है, मुवक्किलों को भी परेशानी हो रही है और न्यायिक कार्य भी प्रभावित हो रहा है.
शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के भी राष्ट्रीय महामंत्री है ने कहा है कई जिलों में जिला कोषागार से भी टिकट नही मिल रहे है जबकि जिला और अनुमंडल बार एसोसिएशन ने कोषागार अधिकारियो से कई बार कोर्ट फी टिकट की मांग की, लेकिन उसको जितना गंभीरता से लिया जाना चाहिए ,नही लिया गया. नतीजतन आज कोर्ट फी टिकट की कमी की सूचना से कोर्ट में कार्य प्रभावित हो रहे है. शुक्ल ने पत्र की प्रति राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव और राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को भी भेजा है.
झारखंड स्टेट बार कौंसिल के सदस्य और चाईबासा के अधिवक्ता अनिल कुमार महतो के नेतृत्व में आज कोल्हान प्रमंडल के अधिवक्ताओं ने आज झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल से उनके निवास पर भेट की तथा न्यायालय में हो रही कठिनाइयों से अवगत कराया. महतो के साथ मुहम्मद परवेज, निमचन्द राम, सरायकेला बार एसोसिएशन के सचिव देवाशीष ज्योतिषी, संयुक्त सचिव भीम सिंह कूदादा, केदार अग्रवाल , चांडिल बार एसोसिएशन के अशोक झा, एस पी महतो, घाटशिला बार एसोसिएशन के दीपक मोहंती, एस के दास, जमशेदपुर जिला बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन पवन कुमार तिवारी, अधिवक्ता कल्याण समिति के झारखंड इकाई के सचिव नीलेश प्रसाद, युवा अध्यक्ष सुनिश पाण्डेय, सहित अन्य अधिवक्ता गण थे.
झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल ने कहा कि झारखंड स्टेट बार कौंसिल ने पूर्व में ही झारखंड में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू कराने की मांग राज्य सरकार से की है और उसका प्रारूप भी राज्य सरकार को सौंपा है. जो राज्य सरकार के पास विचाराधीन है. जल्द ही दिल्ली सरकार की तर्ज पर झारखंड में भी अधिवक्ताओ के लिए मेडिक्लेम बीमा योजना और अधिवक्ताओ के लिए सामुहिक बीमा योजना लागू कराने की मांग भी राज्य सरकार से की जायेंगी. शुक्ल ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि न्याय व्यवस्था में अधिवक्ताओ का महत्वपूर्ण स्थान है, अधिवक्ताओ को कोर्ट का अधिकारी माना जाता है, अधिवक्ताओ के वगैर सहज न्याय की कल्पना नही की जा सकती है. न्याय व्यवस्था और आमलोगों की बीच की सबसे मजबूत कड़ी है अधिवक्ता, जो दोनों को जोड़ता है. अधिवक्ताओ की सुरक्षा और उनके उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को पहल करनी चाहिए. राज्य सरकार द्वारा अधिवक्ताओ पर पेशा कर लगाना पूरी तरह गलत और विधिसम्मत नही है. इसे भी वापस लिया जाना चाहिए. शुक्ल ने कहा है जल्द ही बार कौंसिल के सदस्य अधिवक्ताओ की समस्या पर झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिलेंगे और उन्हें राज्य के अधिवक्ताओं की समस्याओं से अवगत करायेंगे और उसके समाधान की मांग करेंगे.