वाशिंगटन : जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर नियुक्त अमेरिका के दूत जॉन कैरी गुरुवार से तीन एशियाई देशों के दौरे की शुरुआत भारत से कर रहे हैं. भारत के अलावा वो एमिरती और बांग्लादेश के नेताओं से मुलाकात करेंगे. इस दौरान होने वाली बातचीत का एजेंडा ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाना है. उनकी इस यात्रा में सबसे दिलचस्प बात ये है कि वो न तो पाकिस्तान जा रहे हैं और न ही वहां के किसी नेता से बात ही करेंगे, जबकि जलवायु परिवर्तन के लिहाज से पाकिस्तान भी विश्व का एक अहम देश है. आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अप्रैल 22-23 में जलवायु सम्मेलन आयोजित करने का ऐलान किया है, जिसमें दुनिया के 40 देशों को आमंत्रित किया गया है. इसमें भारत और पाकिस्तान को तो आमंत्रित किया गया है लेकिन पाकिस्तान को आमंत्रित भी नहीं किया गया.
पाकिस्तान के अखबार द डॉन के मुताबिक पाकिस्तान इस सम्मेलन में शिरकत करने वाले देशों की सूची में शामिल नहीं है. अखबार ने अपनी खबर में लिखा है कि पाकिस्तान के साथ ऐसे व्यवहार पर सवाल उठना लाजमी है. अखबार के मुताबिक इस बारे में वुडव्रो विल्सन सेंटर के दक्षिण एशियाई मामलों के स्कॉलर माइकल कुगेलमन के मुताबिक पहले पाकिस्तान को क्लाइमेट समिट में आमंत्रित देशों की सूची से बाहर किया गया और अब जॉन कैरी भारत और बांग्लादेश इस बारे में विचार-विमर्श करने जा रहे हैं.
द डॉन की खबर के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने इस बारे में पहले ही संकेत दे दिए थे कि पाकिस्तान को क्लाइमेट समिट से बाहर रखा गया है. अखबार ने इसकी वजह लिखी है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान बेहद कम ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है. खबर के मुताबिक पाकिस्तान विश्व के कुल कार्बन उत्सर्जन का एक फीसद से भी कम उत्सर्जन करता है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में सफाई देते हुए कहा है कि बाइडन ने इस सम्मेलन में उनहें बुलाया है जो विश्व के कुल कार्बन उत्सर्जन का 80 फीसद उत्सर्जन करते हैं. इसलिए पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है. हालांकि पाकिस्तान इससे प्रभावित होने वाले विश्व के दस देशों की सूची में आता है, लेकिन बावजूद इसके उसका योगदान कार्बन उत्सर्जन में बेहद कम है.
आपको बता दें कि जॉन कैरी को राष्ट्रपति बाइडन के इस मुद्दे पर विशेष दूत नियुक्त किया है. वो 1-9 अप्रैल के बीच भारत, अबु धाबी और ढाका में राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात करेंगे और जलवायु परिवर्तन के मकसद को पाने में कैसे कामयाबी हासिल हो, इस बारे में विचार करेंगे. उनके इस दौरे का मकसद ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बंद करना है. गौरतलब है कि वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में ग्लासगो में क्लाइमेट समिट हुआ था. पेरिस समझौते के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के मकसद को पाने का एक खाका तैयार किया गया था जिस पर सभी देशों ने अपनी सहमति व्यक्त की थी. अपनी इस यात्रा से पहले जॉन कैरी ने ट्वीट किया है कि वो अमेरिका के मित्र देशों भारत, संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश से इस बारे में विचार करेंगे कि इस समस्या से कैसे निपटा जाए.