लोहरदगा: झारखंड के लोहरदगा में दो इंसानों को थोड़े से फायदे के लिए जंगल में आग लगाने की कीमत अपनी जिंदगी से चुकानी पड़ी है. गर्मी का मौसम आते ही महुआ चुनने के लिए खरपतवार साफ करने के मकसद से जंगल में आग लगा दी जाती है.
फिलहाल लोहरदगा के दर्जनों जंगलों में आग दहक रही है. लोहरदगा के कुडू में इसी आग की चपेट में आकर दो ग्रामीणों की जान चली गई. लोहरदगा कुडू के तान-राहे पहाड़ से दूसरे दिन एक अप्रैल को एक और अधजला शव बरामद होने से आस-पास के गांवों में सनसनी फैल गई है.
लाश की पहचान कुडू के जिंगी बाढ़म टोली निवासी 65 वर्षीय धोन्धे उरांव के रूप में हुई है. इससे एक दिन पहले ही 31 मार्च को तान निवासी 32 वर्षीय लक्ष्मी उरांव का अधजला शव बरामद हुआ था. बताया जाता है कि 30 मार्च को तान व आस-पास के गांव के लोग तान व राहे पहाड़ आदिवासी समाज के पारंपरिक विशु शिकार पर गए थे.
लोग पांच-पांच का समूह बनाकर शिकार के लिए जंगल पहाड़ घूम रहे थे. शाम में इन दो लोगों को छोड़ सभी लोग वापस घर लौट गए थे. लेकिन दो लोगों के घर नहीं लौटने के बाद दूसरे दिन गांव के लोगों ने उनकी तलाश में तान-राहे पहाड़ में खोजबीन की. जिसके बाद 31 मार्च को लक्ष्मी उरांव का अधजला शव मिला, जबकि धोन्धे उरांव का पता नहीं चला.
एक अप्रैल को फिर गांव के लोग धोन्धे की तलाश में निकले तो राहे पहाड़ में उनका भी शव अधजली अवस्था में मिला. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल लोहरदगा भेज दिया है.
कुडू थाना प्रभारी अनिल उरांव ने बताया कि दोनों की मौत किन कारणों से हुई इसका स्पष्ट पता नहीं चल पाया है. लेकिन प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई है कि जब लोग पहाड़ में विशु शिकार पर गए थे, उसी वक्त जंगल में आग लग गयी या किसी ने आग लगा दी थी.
प्रचंड गर्मी में सूखे पत्तों और टहनियों की भरमार होने के कारण आग देखते ही देखते जंगल में बहुत दूर तक फैल गयी थी. आशंका जतायी जा रही है कि इसी आग की चपेट में आने से दोनों की मौत हुई है. गांव के अधिकतर लोगों का भी यही मानना है. हालांकि पोस्टमार्टम और पुलिस की जांच से ही पूरा मामला स्पष्ट हो सकेगा.