नई दिल्ली : देश में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है और सभी राज्यों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महामारी के खतरे को देखते हुए भारतीय रेलवे ने व्यवस्थाओं में कई तरह के बदलाव किए हैं. इसी कड़ी में अब AC कोच में यात्रियों को कंबल और चादर नहीं दी जाएंगी. साथ ही सभी डिब्बों से पर्दे भी हटा दिए गए हैं. रेलवे ने कोरोना संक्रमण को कम करने के लिए यह कदम उठाया है. AC कोच में पर्दों की जगह रोलर ब्लिंड लगा दिए गए हैं, जिनके संपर्क में आमतौर पर यात्री कम आएंगे और कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका कम रहेगी. ये पर्दे खिड़की से चिपके रहते हैं और इन्हें आसानी से सरकाया भी जा सकता है. इससे पहले भी कोरोना की पहली लहर के समय रेलवे ने पर्दे हटाए थे और कंबल चादरें देनी बंद कर दी थी.
पर्दों की वजह से तेजी से फैलती है आग
साल 2018 में एक जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एसी कोच से पर्दे हटाने का सुझाव दिया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि पर्दों की वजह से ट्रेन में आग तेजी से फैलती है, लेकिन भारत के मौसम में पर्दे गर्मी और तेज धूप से बचाने में कारगर थे और यात्रियों के लिए काफी सुविधाजनक थे. इसी वजह के चलते रेलवे ने अभी तक एसी कोच से पर्दे नहीं हटाए थे.
रेलवे के फैसले से खुश नहीं है यात्री
रेलवे के पर्दे हटाने और कंबल और चादरें न देने के फैसले से यात्री खुश नहीं हैं. कई यात्रियों ने कोच के अंदर गर्मी और कूलिंग की समस्या को लेकर शिकायत की है. भारतीय रेलवे ने काफी रिसर्च के बाद हावड़ा-नई दिल्ली ट्रेन की बोगियों में पर्दों की जगह PDLC सीट लगाने का फैसला किया है. इसमें यात्रियों को खिड़की की पारदर्शिता कम ज्यादा करने की सुविधा भी मिलती है. PDLC सीट काफी प्रभावी रही हैं, पर सभी ट्रेनों में इन पर्दों को लगाने में काफी खर्च आएगा. इस वजह से भारतीय रेलवे एक साथ सभी ट्रेनों में ये शीट नहीं लगा रहा है और इनकी जगह सस्ते रोलर ब्लिंड्स को लगाया जा रहा है.