जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का मुख्य आर्च का काम पूरा हो गया. भारत का चिनाब ब्रिज एफ़िल टॉवर से भी ऊंचा है. स्ट्रेटजिक महत्व के इस ब्रिज के बन जाने से अब पूरी कश्मीर घाटी देश बाक़ी हिस्सों से जुड़ जाएगी.
यह ब्रिज जम्मू के ऊधमपुर से लेकर कश्मीर के बारामूला तक बन रही रेल लाईन यूएसबीआरएल प्रॉजेक्ट का हिस्सा है. इस रेल लाईन के बन जाने से भारतीय सेना को भारत चीन बॉर्डर तक पहुंचने में न सिर्फ़ सहूलियत होगी बल्कि चार से पांच घंटे की बचत भी होगी.
नॉर्दन रेलवे के जीएम आशुतोष गंगल ने कहा है कि यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज जो है जो एफ़िल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा है. इसकी नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है.
इस ब्रिज को बनाने के लिए भारतीय रेलवे के इतिहास की अब तक की इस सबसे ऊंची क्रेन का इस्तेमाल किया गया है. इससे, आसमान में क्रेन के रोपवे से लटक कर जाते भारी स्टील के ब्रिज सेग्मेंट अपनी निर्धारित सटीक जगह पर रख दिए गए.
चिनाब ब्रिज का भारत के लिए स्ट्रेटजिक महत्व है क्योंकि इससे पूरी कश्मीर घाटी देश के बाक़ी हिस्सों से जुड़ जाएगी. इस पर बनने वाली रेल लाईन के चलते अब भारतीय सेना की चीन की सीमा तक पहुंच आसान हो जाएगी. इस रेल लाईन से सेना को कश्मीर घाटी तक पहुंचने में 4 से 5 घंटे की बचत होगी.
कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश को रेलवे लाईन से जोड़ने वाली रेल प्रॉजेक्ट का नाम है ऊधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक यानी यूएसबीआरएल. चिनाब ब्रिज इसी का एक हिस्सा है जो क़रीब 1400 करोड़ रूपए की लागत से बना है और पूरी रेल लाईन प्रॉजेक्ट 28 हज़ार करोड़ रूपए में बन कर तैयार होगी.
यह रेल लाईन हिमालय की शिवालिक पर्वत माला और मध्य हिमालय की पीर पंजाल शृंखला के सबसे दुर्गम इलाक़े के बीच से पार हो रही है. इस रेल लाईन परियोजना में 38 सुरंगें और 97 ब्रिज हैं. उत्तर रेलवे ज़ोन की इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का प्रॉजेक्ट घोषित किया जा चुका है. उत्तर रेलवे के इस ब्रिज का निर्माण कोंकण रेलवे कर रहा है.
रेलवे का दावा है कि किसी आतंकवादी ब्लास्ट के हमले में भी इसे नुक़सान नहीं होगा. एक स्पैन ध्वस्त हो जाने पर भी ये काम करता रहेगा. इस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से ट्रेन चलेगी. 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने वाली हवा को भी ये बर्दाश्त कर सकता है. इसकी अनुमानित उम्र 120 वर्ष है. इसे सबसे अधिक तीव्रता वाले ज़ोन-5 के भूकम्प बलों को बर्दाश्त करने योग्य बनाया गया है. किसी बड़े भूकंप में भी इसे न्यूनतम नुक़सान ही पहुंचेगा.
इसकी लागत 1483 करोड़ रुपए है, 584 किलोमीटर की वेल्डिंग इसमें हुई है. इसका स्टील -10 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान को सहने के योग्य है. इसके निर्माण में 28,660 मिट्रिक टन स्टील लगी है. चिनाब आर्च में स्टील के बक्से हैं जिसमें स्थिरता के लिए कंक्रीट भरा गया है. आर्च का कुल वज़न 10,619 मिट्रिक टन है. मुख्य आर्च स्पैन की लम्बाई 467 मीटर वर्टिकल है और 550 मीटर हॉरिज़ॉंटल है. चिनाब ब्रिज की कुल लम्बाई 315 मीटर यानी 1.315 किलोमीटर है.