2 सितंबर को ऑर्बिटर से अलग होने के साथ ही चंद्रयान के बाकी दो हिस्सों लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा की सतह के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी थी. पहले जीएसएलवी मार्क-3 के सख्त कवच के भीतर और फिर ऑर्बिटर का मजबूत साथ उसे मंजिल तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं, लेकिन आगे की राह उसे खुद ही तय करनी होगी. चंद्रमा की परिक्रमा करने के बाद चंद्रमा की ओर शुरू होने वाली लैंडिंग कई खतरे और चुनौतियां लेकर आएगी.
लैडिंंग के दौरान इन खतरों से गुजरेगा चंद्रयान-2
1). गुरुत्वाकर्षण और तनाव :
चंद्रमा पर उतरते समय उसके गुरुत्वाकर्षण से संतुलन बनाए रखना और दबाव से गुजरना विक्रम के लिए मुश्किल होगा. यहां उसे सौर गतिविधियों व आंधियों से पैदा हुए दबाव को भी सहना है. हालांकि चंद्रमा का अपना वातावरण न होने की वजह से उसके लिए कुछ मुश्किलें आसान होगी, लेकिन रेडिएशन के अलग-अलग स्तर खतरनाक हैं.
2). 23,605 गड्ढों के बीच लैंडिंग :
करोड़ों वर्षों के दौरान चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष पिंड टकराने से लेकर इसकी अपनी भूगर्भीय हलचलों जैसी वजहों से क्रेटर यानी गड्ढे बनते रहे हैं. चंद्रयान-2 की लैंडिंग के लिए 15 गुणा 8 किमी का दीर्घवृत निर्धारित किया गया है. इस छोटे से क्षेत्र में 23,605 गड्ढे हैं. इनकी गणना जर्मनी के ग्रह शोध संस्थान और डॉर्टमंड टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के साथ भारत की फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री के वैज्ञानिकों की टीम ने की है. टीम के अनुसार इनमें से 13,600 गड्ढों का व्यास 10 मीटर से भी कम है. वहीं केवल 11 गड्ढे ऐसे हैं जो 500 मीटर या उससे बड़े हैं. इनके बीच विक्रम उतारने के लिए बेहद सटीक योजना बनाई गई है. जरा सी चूक पूरे मिशन को खतरे में डाल सकती है.
3). छह प्रतिशत क्षेत्र में ढलान 15 डिग्री से ज्यादा
इसरो को लैंडिंग के लिए पहले से ही ऐसी जगह का चुनाव करना था, जहां ढलान 15 डिग्री से अधिक न हो. इससे विक्रम को उतारने में आसानी होगी. हालांकि लैंडिंग के दीर्घवृत में 94 प्रतिशत जगह ढ़ाल 15 डिग्री से कम है, लेकिन छह प्रतिशत क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां ढ़लान 15 डिग्री से अधिक है. स्लोप-मैप के अनुसार यह ढाल गड्ढों के किनारों की वजह से बने हैं. विक्रम को यहां उतारने की योजना के दौरान इस खतरे से भी निपटा गया है.
4). और अपने पांवों पर लैंडिंग
चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए विक्रम को पूरी तरह समतल सतह देना संभव नहीं था. ऐसे में अपने चार पैरों के बल पर उतरना भी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इन्हीं पैरों में लगे शॉक-अब्जॉबर्स उसे इन झटकों से बचाने के लिए लगाए गए हैं.