बीएनएन डेस्क : दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप आते रहते हैं, इस कारण अब तक करोड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. आज ही के दिन करीब 10 साल पहले चीन में एक जबरदस्त भूकंप आया, जिसमें 2500 से ज्यादा लोग मारे गए. भूकंप के तेज झटकों से तिब्बत में स्थित किंघई प्रांतके युसु जिले बुरी तरह नष्ट हो गया. यहां मौजूद इमारतें देखते ही देखते जमींदोज हो गईं.
चीन के किंघई प्रांत में 14 अप्रैल 2010 को सुबह 7.49 बजे 6.9 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया. भूकंप का केंद्र युसु जिले में स्थित एक छोटा सा गांव रीमा था. भूकंप भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों से घिरे क्षेत्र में हुआ. इन दोनों प्लेटों की टक्कर से ही तिब्बत का पठार और हिमालय का उदय हुआ. भूकंप के केंद्र के चारों ओर स्थित जगह बुरी तरह से नष्ट हो गई. झटके महसूस होने पर लोगों ने घरों से भागना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में भूकंप के झटके आना बंद हो गए, लेकिन फिर आफ्टरशॉक ने रही सही कसर को पूरा कर दिया.
12 हजार से ज्यादा लोग हुए घायल
युसु में कुल मिलाकर 15 हजार घर मिट्टी में मिल चुके थे और करीब एक लाख लोग बिना किसी छत के कड़कड़ाती सर्दी में खुले आसमान के नीचे आ चुके थे. यहां गौर करने वाली बात ये थी कि तिब्बत का पठार 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ऐसे में यहां रात के समय तापमान शून्य से नीचे चला जाता है. चीन का ये इलाका काफी पिछड़ा हुआ और अलग-थलग है. इस कारण लोगों को ज्यादा कठिनाई उठानी पड़ी. इस इलाके में स्थित अधिकतर घर मिट्टी के बने हुए थे, जो भूकंप के तेज झटकों को सह नहीं पाए. भूकंप के चलते करीब 2,698 लोगों की मौत हुई और 12 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए.
इलाके से अलग-थलग होने से राहत टीम को हुई परेशानी
चीन की सरकार ने भूकंप के तुरंत बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया. बड़ी संख्या में सैनिकों को खाने की चीजों के साथ इलाके में भेजा गया. लेकिन ये इलाका इतना अलग-थलग स्थित था कि राहत दल को यहां पहुंचने और भारी सामानों को उतारने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. भूस्खलन की वजह से इलाके के अधिकतर रोड ब्लॉक हो चुके थे. ऐसे में केवल हवाई मार्ग के जरिए ही मदद पहुंचाई जा सकती थी. यहां बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु रहा करते थे. कई बौद्ध भिक्षुओं की मौत तो प्रार्थना के दौरान ही हो गई थी.
सर्दी से बचने के लिए लोगों को बांटे गए कंबल
बर्फीले तापमान को देखते हुए बेघर लोगों को कोट और कंबल बांटना सरकार की प्राथमिकता थी. सरकार ने यहां बेघर हुए लोगों को कंबल बांटे. भूकंप की वजह से यहां मौजूद तीन जलविद्युत संयंत्र तबाह हो गए थे. इस कारण इलाके की बिजली गुल हो गई थी. दो सप्ताह बाद यहां के एक स्टेशन ने बिजली का उत्पादन शुरू किया. इसी बीच जनरेटर और एक आपातकालीन स्टेशन के जरिए इलाके में बिजली की बहाली की गई. चीन ने बड़े पैमाने पर यहां के पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचाई.