नई दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जैसे ही दिल्ली में एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाने की घोषणा की, राजधानी से श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया. दिल्ली के आनंद विहार, आईएसबीटी कश्मीरी गेट, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और अन्य जगहों पर भीड़ बढ़ने लगी. कम बसों-ट्रेनों के होने के बावजूद भारी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों को जाने के लिए निकल पड़े. एक बार फिर 24-25 मार्च 2020 का वह भयावह दृश्य दिखाई पड़ने लगा जैसा कि पहले लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद देखा गया था. मजदूर किसी भी तरह जल्द से जल्द अपने घरों को पहुंच जाना चाहते हैं. उन्हें आशंका है कि एक-एक हफ्ते करके यह लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा सकता है और यहां रुके रहने पर उन्हें नुकसान होगा.
दिल्ली के श्रमिकों को कहीं जाने की जरूरत नहीं
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली के मजदूरों को पलायन करने की कोई जरूरत नहीं है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी श्रमिकों को भरोसा दिलाया है कि उन्हें यहां रहने में कोई तकलीफ नहीं होगी, सरकार उनका पूरा ध्यान रखेगी, इसलिए सभी श्रमिकों से अनुरोध है कि उन्हें सरकार की बात पर भरोसा होना चाहिए और अपने घरों पर ही सुरक्षित रहना चाहिए. बाहर निकलने से उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी, जिससे उन्हें बचने की कोशिश करनी चाहिए.
दिल्ली सरकार ने किये थे ये इंतजाम
पिछले साल लॉकडाउन-1 के दौरान मजदूरों के पलायन की बेहद तकलीफदेह तस्वीरें सामने आईं थीं. लोग अपने परिजनों के साथ पैदल ही अपने घरों को जाने के लिए निकल पड़े थे. श्रमिकों को रोजी-रोटी की समस्या उनकी अपनी जिन्दगी पर भारी दिखने लगी थी. लेकिन इसी दौरान दिल्ली सरकार ने लाखों लोगों को रोजाना भोजन कराने का इंतजाम किया था. दिल्ली सरकार रोजाना 10 लाख लोगों से ज्यादा श्रमिकों और उनके परिवारों को रोजाना भोजन उपलब्ध करा रही थी.
दिल्ली सरकार ने अपने यहां पंजीकृत मजदूरों को नकद सहायता राशि देने की भी योजना चलाई और हजारों मजदूरों को आर्थिक सहायता प्रदान की. राजधानी में रह रहे गरीब परिवारों को सूखा राशन भी पहुंचाया गया, जिससे किसी को भूख के कारण जिंदगी से हाथ न धोना पड़े. सरकार के इन कामों की खूब प्रशंसा भी हुई थी.
अब क्या करेगी सरकार
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन की घोषणा करते हुए श्रमिकों के इसी विश्वास को जीतने की कोशिश की. उन्होंने श्रमिकों से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि वे पलायन न करें. सरकार उनकी सभी सुविधा का ध्यान रखेगी. चूंकि यह केवल एक हफ्ते का ही लॉकडाउन है, इसलिए सरकार ने अभी सीधे-सीधे किसी सहायता की घोषणा नहीं की है, लेकिन अगर कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार नहीं आया और लॉकडाउन को आगे बढ़ाना पड़ा तो सरकार श्रमिकों के लिए योजना लेकर सामने आएगी, इसे तय माना जा रहा है.
जाने से बढ़ेगा संकट
दिल्ली में यूपी-बिहार के ही श्रमिक सबसे ज्यादा संख्या में होते हैं. इन राज्यों में कोरोना की स्थिति पहले से ही खराब है. इन राज्यों की स्वास्थ्य व्यवस्था दिल्ली के मुकाबले काफी खराब है. ऐसे में अगर श्रमिक इन राज्यों में पलायन करते हैं, तो इन राज्यों में कोरोना की समस्या और अधिक गंभीर होगी, साथ ही इन राज्यों में कोरोना का इलाज कर रही व्यवस्था पर और भी अधिक दबाव आएगा. इसलिए श्रमिक संगठनों के नेताओं की राय है कि मजदूरों को इस समय पलायन करने से बचना चाहिए.
श्रमिकों को प्राथमिकता से लगायें वैक्सीन- भारतीय मजदूर संघ
भारतीय मजदूर संघ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनीश मिश्रा ने अमर उजाला से कहा कि मजदूरों को पलायन नहीं करना चाहिए. उन्हें अपनी सरकार और अपनी व्यवस्था पर भरोसा रखना चाहिए. उन्होंने दिल्ली सरकार से भी अपील की कि वह ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को वैक्सीन लगवाए, ताकि मजदूर पलायन न करें और अपना कामकाज जारी रखते हुए राष्ट्र के विकास में योगदान दें.