• मुख्य पृष्ठ
  • UP इलेक्शन 2022
  • झारखंड
  • समाचार
  • बिहार
  • उत्तर प्रदेश
  • भारतवर्ष
  • शिक्षा
  • क्या आप जानते हैं ?
  • आज का इतिहास
  • हमारे ऋषिमुनि
  • संस्कृति और विरासत
  • वास्तु दोष और निवारण
  • वैदिक भारत
  • सनातन-धर्म
  • वे आज भी जीवित हैं
  • भाषा और साहित्य
  • भारत में नंबर वन
  • विश्व में नंबर वन
  • प्राद्यौगिकी
  • परवरिश
  • भूगोल
  • विज्ञान
  • जीवनी
  • वनौषधि
  • स्वास्थ्य
  • क्या आप जानते हैं ?
  • जीवनी
  • भाषा और साहित्य
  • झारखंड – सम्पूर्ण परिचय
  • योग और व्यायाम
  • चित्र अभिलेखागार
  • छोटी कहानियाँ
  • भारत के ऐतिहासिक शहर
  • भारत के राज्य
  • मनोरंजन और खेल
  • झारखंड की धर्म और संस्कृति
  • झारखंड की राजनीति
bnnbharat.com
  • मुख्य पृष्ठ
  • UP इलेक्शन 2022new
  • समाचार
  • भारतवर्ष
  • झारखंड
  • बिहार
  • शिक्षा
  • प्राद्यौगिकी
  • वनौषधि
  • सामान्य ज्ञान
No Result
View All Result
bnnbharat.com
No Result
View All Result

महर्षि अगस्त्य : एक वैज्ञानिक

विद्युत का अविष्कार हो या हवा भर कर उड़ने वाले गुब्बारे का। इन सभी का वर्णन हमें महर्षि अगस्त्य द्वारा रचित अगस्त्य संहिता में मिलता है। आइये जानते एक महान वैज्ञानिक महर्षि अगस्त्य के बारे में। अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था, विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था।

by bnnbharat.com
June 3, 2021
in वैदिक भारत, सनातन-धर्म, समाचार, संस्कृति और विरासत, हमारे ऋषिमुनि
महर्षि अगस्त्य : एक वैज्ञानिक

परिचय

Contents

  • परिचय
  • महर्षि अगस्त्य के आश्रम
  • मार्शल आर्ट में योगदान
  • रोचक तथ्य
  • विद्युत उत्पादन :
  • पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बदलना :
  • सोने का पानी चढ़ाना :
  • विद्युत तार :
  • आकाश में उड़ने वाले गर्म गुब्बारे :
  • वायुपुरण वस्त्र :

महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ॠषि थे। ये वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे। इनका जन्म श्रावण शुक्ल पंचमी (तदनुसार 3000 ई.पू.) को काशी में हुआ था। वर्तमान में वह स्थान अगस्त्यकुंड के नाम से प्रसिद्ध है।

इनकी पत्नी लोपामुद्रा विदर्भ देश की राजकुमारी थी। इन्हें सप्तर्षियों में से एक माना जाता है। देवताओं के अनुरोध पर इन्होंने काशी छोड़कर दक्षिण की यात्रा की और बाद में वहीं बस गये थे। वैज्ञानिक ऋषियों के क्रम में महर्षि अगस्त्य भी एक वैदिक ऋषि थे।

महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। महर्षि अगस्त्य को मं‍त्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के बेटा इध्मवाह भी नवम मंडल के 25वें तथा 26वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि हैं।

महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का बेटा माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है। वहां इसका नाम कृष्णेक्षणा है। इनका इध्मवाहन नाम का पुत्र था।

अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था, विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था और मणिमती नगरी के इल्वल तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। अगस्त्य ऋषि के काल में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ और त्रसदस्यु थे। इन्होंने अगस्त्य के साथ मिलकर दैत्यराज इल्वल को झुकाकर उससे अपने राज्य के लिए धन-संपत्ति मांग ली थी।

‘सत्रे ह जाताविषिता नमोभि: कुंभे रेत: सिषिचतु: समानम्। ततो ह मान उदियाय मध्यात् ततो ज्ञातमृषिमाहुर्वसिष्ठम्॥ इस ऋचा के भाष्य में आचार्य सायण ने लिखा है- ‘ततो वासतीवरात् कुंभात् मध्यात् अगस्त्यो शमीप्रमाण उदियाप प्रादुर्बभूव। तत एव कुंभाद्वसिष्ठमप्यृषिं जातमाहु:॥

दक्षिण भारत में अगस्त्य तमिल भाषा के आद्य वैय्याकरण हैं। यह कवि शूद्र जाति में उत्पन्न हुए थे इसलिए यह ‘शूद्र वैयाकरण’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह ऋषि अगस्त्य के ही अवतार माने जाते हैं। ग्रंथकार के नाम परुनका यह व्याकरण ‘अगस्त्य व्याकरण’ के नाम से प्रख्यात है। तमिल विद्वानों का कहना है कि यह ग्रंथ पाणिनि की अष्टाध्यायी के समान ही मान्य, प्राचीन तथा स्वतंत्र कृति है जिससे ग्रंथकार की शास्त्रीय विद्वता का पूर्ण परिचय उपलब्ध होता है।

भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके विशिष्ट योगदान के लिए जावा, सुमात्रा आदि में इनकी पूजा की जाती है। महर्षि अगस्त्य वेदों में वर्णित मंत्र-द्रष्टा मुनि हैं। इन्होंने आवश्यकता पड़ने पर कभी ऋषियों को उदरस्थ कर लिया था तो कभी समुद्र भी पी गये थे।
इन मूर्तियों में से बायीं वाली अगस्त्य ऋषि की है। ये इंडोनेशिया में प्रंबनम संग्रहालय, जावा में रखी हैं और 9वीं शताब्दी की हैं।

महर्षि अगस्त्य के आश्रम

महर्षि अगस्त्य के भारतवर्ष में अनेक आश्रम हैं। इनमें से कुछ मुख्य आश्रम उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु में हैं। एक उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग नामक जिले के अगस्त्यमुनि नामक शहर में है। यहाँ महर्षि ने तप किया था तथा आतापी-वातापी नामक दो असुरों का वध किया था। मुनि के आश्रम के स्थान पर वर्तमान में एक मन्दिर है। आसपास के अनेक गाँवों में मुनि जी की इष्टदेव के रूप में मान्यता है। मन्दिर में मठाधीश निकटस्थ बेंजी नामक गाँव से होते हैं।

दूसरा आश्रम महाराष्ट्र के नागपुर जिले में है। यहाँ महर्षि ने रामायण काल में निवास किया था। श्रीराम के गुरु महर्षि वशिष्ठ तथा इनका आश्रम पास ही था। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से श्रीराम ने ऋषियों को सताने वाले असुरों का वध करने का प्रण लिया था (निसिचर हीन करुहुँ महिं)। महर्षि अगस्त्य ने श्रीराम को इस कार्य हेतु कभी समाप्त न होने वाले तीरों वाला तरकश प्रदान किया था।

एक अन्य आश्रम तमिलनाडु के तिरुपति में है। पौराणिक मान्यता के अनुसार विंध्याचल पर्वत जो कि महर्षि का शिष्य था, का घमण्ड बहुत बढ़ गया था तथा उसने अपनी ऊँचाई बहुत बढ़ा दी जिस कारण सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पहुँचनी बन्द हो गई तथा प्राणियों में हाहाकार मच गया। सभी देवताओं ने महर्षि से अपने शिष्य को समझाने की प्रार्थना की। महर्षि ने विंध्याचल पर्वत से कहा कि उन्हें तप करने हेतु दक्षिण में जाना है अतः उन्हें मार्ग दे। विंध्याचल महर्षि के चरणों में झुक गया, महर्षि ने उसे कहा कि वह उनके वापस आने तक झुका ही रहे तथा पर्वत को लाँघकर दक्षिण को चले गये। उसके पश्चात वहीं आश्रम बनाकर तप किया तथा वहीं रहने लगे।

एक आश्रम महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अकोले में प्रवरा नदी के किनारे है। यहाँ महर्षि ने रामायण काल में निवास किया था। माना जाता है कि उनकी उपस्थिति में सभी प्राणी दुश्मनी भूल गये थे।

मार्शल आर्ट में योगदान

महर्षि अगस्त्य केरल के मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु की दक्षिणी शैली वर्मक्कलै के संस्थापक आचार्य एवं आदि गुरु हैं। वर्मक्कलै निःशस्त्र युद्ध कला शैली है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने अपने पुत्र मुरुगन (कार्तिकेय) को यह कला सिखायी तथा मुरुगन ने यह कला अगस्त्य को सिखायी। महर्षि अगस्त्य ने यह कला अन्य सिद्धरों को सिखायी तथा तमिल में इस पर पुस्तकें भी लिखी। महर्षि अगस्त्य दक्षिणी चिकित्सा पद्धति ‘सिद्ध वैद्यम्’ के भी जनक हैं।

रोचक तथ्य

ऋषि अगस्त्य ने ‘अगस्त्य संहिता’ नामक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ की बहुत चर्चा होती है। इस ग्रंथ की प्राचीनता पर भी शोध हुए हैं और इसे सही पाया गया।

विद्युत उत्पादन :

आश्चर्यजनक रूप से इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं:-

संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌। छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥ दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:। संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥ -अगस्त्य संहिता

अर्थात :एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet)डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate)डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust)लगाएं, ऊपर पारा (mercury‌)तथा दस्त लोष्ट (Zinc)डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity)का उदय होगा।

अगस्त्य संहिता में विद्युत का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating)के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबा या सोना या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली अत: अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone)भी कहते हैं।

अनने जलभंगोस्ति प्राणो दानेषु वायुषु। एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृत:॥ -अगस्त्य संहिता

पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बदलना :

महर्षि अगस्त्य कहते हैं-सौ कुंभों (उपरोक्त प्रकार से बने तथा श्रृंखला में जोड़े गए सौ सेलों) की शक्ति का पानी पर प्रयोग करेंगे, तो पानी अपने रूप को बदलकर प्राणवायु (Oxygen)तथा उदान वायु (Hydrogen)में परिवर्तित हो जाएगा।

कृत्रिमस्वर्णरजतलेप: सत्कृतिरुच्यते। यवक्षारमयोधानौ सुशक्तजलसन्निधो॥ आच्छादयति तत्ताम्रं स्वर्णेन रजतेन वा। सुवर्णलिप्तं तत्ताम्रं शातकुंभमिति स्मृतम्‌॥ -5 (अगस्त्य संहिता)

सोने का पानी चढ़ाना :

अर्थात-कृत्रिम स्वर्ण अथवा रजत के लेप को सत्कृति कहा जाता है। लोहे के पात्र में सुशक्त जल (तेजाब का घोल) इसका सान्निध्य पाते ही यवक्षार (सोने या चांदी का नाइट्रेट) ताम्र को स्वर्ण या रजत से ढंक लेता है। स्वर्ण से लिप्त उस ताम्र को शातकुंभ अथवा स्वर्ण कहा जाता है। (इसका उल्लेख शुक्र नीति में भी है)

विद्युत तार :

आधुनिक नौकाचलन और विद्युत वहन, संदेशवहन आदि के लिए जो अनेक बारीक तारों की बनी मोटी केबल या डोर बनती है वैसी प्राचीनकाल में भी बनती थी जिसे रज्जु कहते थे।

नवभिस्तस्न्नुभिः सूत्रं सूत्रैस्तु नवभिर्गुणः। गुर्णैस्तु नवभिपाशो रश्मिस्तैर्नवभिर्भवेत्। नवाष्टसप्तषड् संख्ये रश्मिभिर्रज्जवः स्मृताः।।

9तारों का सूत्र बनता है। 9 सूत्रों का एक गुण, 9 गुणों का एक पाश, 9 पाशों से एक रश्मि और 9, 8, 7 या 6 रज्जु रश्मि मिलाकर एक रज्जु बनती है।

आकाश में उड़ने वाले गर्म गुब्बारे :

इसके अलावा अगस्त्य मुनि ने गुब्बारों को आकाश में उड़ाने और विमान को संचालित करने की तकनीक का भी उल्लेख किया है।

वायुबंधक वस्त्रेण सुबध्दोयनमस्तके। उदानस्य लघुत्वेन विभ्यर्त्याकाशयानकम्।।

अर्थात :उदानवायु (Hydrogen)को वायु प्रतिबंधक वस्त्र में रोका जाए तो यह विमान विद्या में काम आता है। यानी वस्त्र में हाइड्रोजन पक्का बांध दिया जाए तो उससे आकाश में उड़ा जा सकता है।

“जलनौकेव यानं यद्विमानं व्योम्निकीर्तितं। कृमिकोषसमुदगतं कौषेयमिति कथ्यते। सूक्ष्मासूक्ष्मौ मृदुस्थलै औतप्रोतो यथाक्रमम्।। वैतानत्वं च लघुता च कौषेयस्य गुणसंग्रहः। कौशेयछत्रं कर्तव्यं सारणा कुचनात्मकम्। छत्रं विमानाद्विगुणं आयामादौ प्रतिष्ठितम्।।

अर्थात उपरोक्त पंक्तियों में कहा गया है कि विमान वायु पर उसी तरह चलता है, जैसे जल में नाव चलती है। तत्पश्चात उन काव्य पंक्तियों में गुब्बारों और आकाश छत्र के लिए रेशमी वस्त्र सुयोग्य कहा गया है, क्योंकि वह बड़ा लचीला होता है।

इसे भी पढ़ें : आचार्य कणाद “एक वैज्ञानिक”(अणु, परमाणु, गति एवं गरुत्वाकर्षण के सिद्धांत व नियमों की व्याख्या कणाद ने हजारों वर्ष पहले की थी।)

वायुपुरण वस्त्र :

प्राचीनकाल में ऐसा वस्त्र बनता था जिसमें वायु भरी जा सकती थी। उस वस्त्र को बनाने की निम्न विधि अगस्त्य संहिता में है-

क्षीकद्रुमकदबाभ्रा भयाक्षत्वश्जलैस्त्रिभिः। त्रिफलोदैस्ततस्तद्वत्पाषयुषैस्ततः स्ततः।। संयम्य शर्करासूक्तिचूर्ण मिश्रितवारिणां। सुरसं कुट्टनं कृत्वा वासांसि स्त्रवयेत्सुधीः।। -अगस्त्य संहिता

अर्थात :रेशमी वस्त्र पर अंजीर, कटहल, आंब, अक्ष, कदम्ब, मीराबोलेन वृक्ष के तीन प्रकार ओर दालें इनके रस या सत्व के लेप किए जाते हैं। तत्पश्चात सागर तट पर मिलने वाले शंख आदि और शर्करा का घोल यानी द्रव सीरा बनाकर वस्त्र को भिगोया जाता है, फिर उसे सुखाया जाता है। फिर इसमें उदानवायु भरकर उड़ा जा सकता है।

महर्षि अगस्त्य के बाद वैशेषिक दर्शन में भी ऊर्जा के स्रोत, उत्पत्ति और उपयोग के संबंध में बताया गया है।

Related Posts

यात्रा से पहले अमरनाथ श्राइन बोर्ड का बड़ा फैसला- चिप्स-समोसा, कोल्ड ड्रिंक समेत जंक फूड बैन
समाचार

यात्रा से पहले अमरनाथ श्राइन बोर्ड का बड़ा फैसला- चिप्स-समोसा, कोल्ड ड्रिंक समेत जंक फूड बैन

June 25, 2022
सभी केबल और डीटीएच प्लेटफार्मों के माध्यम से डीडी स्पोर्ट्स पर भारत के वेस्टइंडीज दौरे का विशेष प्रसारण
समाचार

सभी केबल और डीटीएच प्लेटफार्मों के माध्यम से डीडी स्पोर्ट्स पर भारत के वेस्टइंडीज दौरे का विशेष प्रसारण

June 25, 2022
करिश्मा कपूर का जन्मदिन आज,करीना ने अपनी बहन की बचपन की तस्वीर शेयर की
समाचार

करिश्मा कपूर का जन्मदिन आज,करीना ने अपनी बहन की बचपन की तस्वीर शेयर की

June 25, 2022
शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ की
समाचार

शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ की

June 25, 2022
समाचार

पिछले 24 घंटों में कोरोना के 15,940 नए मामले सामने आए

June 25, 2022
दिग्गज अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण कोरोना संक्रमित
समाचार

दिग्गज अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण कोरोना संक्रमित

June 25, 2022
Next Post
जानिए महर्षि दधीचि को

जानिए महर्षि दधीचि को

26-27 जून 2022 को रांची में भाकपा माले की राज्य कमिटी की बैठक होगी

26-27 जून 2022 को रांची में भाकपा माले की राज्य कमिटी की बैठक होगी

June 25, 2022
पीएम मोदी के दौरे से पहले देवघर एयरपोर्ट पर विमान का सेकेंड ट्रायल

पीएम मोदी के दौरे से पहले देवघर एयरपोर्ट पर विमान का सेकेंड ट्रायल

June 25, 2022
कबाड़ी की दुकान में गैस लीक होने की वजह से पिता-पुत्र बीमार

कबाड़ी की दुकान में गैस लीक होने की वजह से पिता-पुत्र बीमार

June 25, 2022
पुलिस और पीएलएफआई उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ होते-होते बचा

पुलिस और पीएलएफआई उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ होते-होते बचा

June 25, 2022
रांची रेलवे स्टेशन को ‘एक स्टेशन एक उत्पाद योजना’ के अंतर्गत पूरे भारतीय रेल में दूसरा स्थान 

रांची रेलवे स्टेशन को ‘एक स्टेशन एक उत्पाद योजना’ के अंतर्गत पूरे भारतीय रेल में दूसरा स्थान 

June 25, 2022
आपकी योजनायें, अपनी योजनाओं को जानें

आपकी योजनायें, अपनी योजनाओं को जानें

June 24, 2022
रोड स्थित बद्री फ्यूल पेट्रोल पंप में लगी आग

भागलपुर रोड स्थित बद्री फ्यूल नामक hp पेट्रोल पंप में लगी आग

June 23, 2022
CM हेमन्त सोरेन आज लातेहार जिला के चंदवा स्थित मां उग्रतारा नगर भगवती मंदिर में पूजा-अर्चना की

CM हेमन्त सोरेन आज लातेहार जिला के चंदवा स्थित मां उग्रतारा नगर भगवती मंदिर में पूजा-अर्चना की

June 23, 2022

घाटशिला- मेगा कैम्प में 251 लाभुकों के बीच 125.50 लाख रुपए के केसीसी का वितरण

June 23, 2022
मांडर विधानसभा उपचुनाव का मतदान सुबह 7 बजे से शुरू

मांडर विधानसभा उपचुनाव का मतदान सुबह 7 बजे से शुरू

June 23, 2022
राष्ट्रपति चुनाव:-दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का झारखंड से है सीधा संबंध

राष्ट्रपति चुनाव:-दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का झारखंड से है सीधा संबंध

June 22, 2022
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • About Us

DMCA.com Protection Status

Copyright (c) 2021 by bnnbharat.com

No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • UP इलेक्शन 2022
  • झारखंड
  • समाचार
  • बिहार
  • उत्तर प्रदेश
  • भारतवर्ष
  • शिक्षा
  • क्या आप जानते हैं ?
  • आज का इतिहास
  • हमारे ऋषिमुनि
  • संस्कृति और विरासत
  • वास्तु दोष और निवारण
  • वैदिक भारत
  • सनातन-धर्म
  • वे आज भी जीवित हैं
  • भाषा और साहित्य
  • भारत में नंबर वन
  • विश्व में नंबर वन
  • प्राद्यौगिकी
  • परवरिश
  • भूगोल
  • विज्ञान
  • जीवनी
  • वनौषधि
  • स्वास्थ्य

© 2021 bnnbnnbnn.

This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used. Visit our Privacy and Cookie Policy.