1. महल की बत्तियां बुझाते रहे नेहरू –
‘जब मैं उनके स्टाफ में आया, तो वो 63 साल के थे लेकिन 33 के लगते थे। लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते थे। और तो और एक बार में दो सीढ़ियाँ चढ़ा करते थे। एक बार डिब्रूगढ़ की यात्रा के दौरान मैं उनका सिगरेट केस लेने उनके कमरे में घुसा तो मैंने देखा कि उनका सहायक हरि उनके फटे मोजों की सिलाई कर रहा है। उन्हें चीजों को बर्बाद करना पसंद नहीं था। एक बार सऊदी अरब की यात्रा के दौरान वो उस महल के हर कमरे में जा कर बत्तियाँ बुझाते रहे, जिसे ख़ासतौर से उनके लिए बनवाया गया था।”
– नेहरू के सुरक्षा अधिकारी रहे केएम रुस्तमजी अपनी किताब ‘आई वाज नेहरूज शैडो’ में.
2. नेहरू और नाई –
‘नेहरू के बाल काटने के लिए राष्ट्रपति भवन से एक नाई आया करता था। एक बार नेहरू ने उससे कहा हम विलायत जा रहे हैं। बोलो तुम्हारे लिए क्या लाएं? नाई ने शर्माते हुए कहा हुजूर कभी-कभी आने में देर हो जाती है। अगर घड़ी ले आएं तो अच्छा होगा। जब नेहरू विलायत से लौटे तो वो नाई फिर उनका बाल काटने आया। नेहरू बोले तुम पूछोगे नहीं कि मैं तुम्हारे लिए घड़ी लाया हूँ या नहीं। जाओ सेशन (उनके निजी सहायक) से जा कर घड़ी ले लो।’
– बीबीसी से बातचीत में नेहरू के पर्सनल असिस्टेंट रहे डॉक्टर जनकराज जय.
3. नेहरू और वो टैक्सी वाला –
‘एक बार जब जवाहरलाल दफ्तर जा रहे थे तो साउथ एवेन्यू के पास उनकी कार पंक्चर हो गई। दूर से एक सरदार टैक्सी वाले ने देख लिया। वो अपनी टैक्सी ले कर पहुंचा और बोला मेरा सौभाग्य होगा अगर आप मेरी टैक्सी में बैठ जाएं। मैं आपको दफ़्तर ले कर चलूँगा। नेहरू बिना किसी की सुने उसकी टैक्सी में बैठ गए। दफ्तर पहुँचकर वो अपनी जेब टटोलने लगे लेकिन उनकी जेब में पैसे तो होते नहीं थे। टैक्सी वाला बोला आप क्यों शर्मिंदा कर रहे हैं। क्या मैं आपसे पैसे लूँगा? अब तो मैं पाँच दिनों तक किसी को इस सीट पर बैठाऊंगा भी नहीं!’
– बीबीसी से साक्षात्कार में डॉक्टर जनकराज जय.
4. नेहरू के होठों से लगी शैंपेन –
एक बार स्विट्जरलैंड में मशहूर अभिनेता चार्ली चैपलिन ने नेहरू को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया। खाने से पहले एक ट्रे में शैम्पेन की कई बोतलें लाई गईं। चैपलिन ने एक गिलास उठा कर नेहरू के हाथ में दे दिया। नेहरू बोले क्या आपको पता नहीं कि मैं पीता नहीं हूँ। चैपलिन ने कहा, “प्रधानमंत्री महोदय, आप कैसे मुझे मेरी शैंपेन पीने के सम्मान से वंचित कर सकते हैं?’ नेहरू फिर भी झिझके। चार्ली झुके और उन्होंने शैम्पेन से भरा गिलास नेहरू के होठों से लगा दिया। नेहरू ने गिलास से एक सिप लिया और पूरे वक़्त तक उस गिलास को अपने बगल में रखे बैठे रहे।
– पूर्व विदेश सचिव दिनशॉ गुंडेविया अपनी आत्मकथा ‘आउटसाइड आर्काइव्स’ में.
रुस्तमजी भी लिखते हैं कि उन्होंने कभी नेहरू को शराब पीते नहीं देखा। हाँ वो सिगरेट ज़रूर पिया करते थे और वो भी स्टेट एक्सप्रेस 555 जो कि उस ज़माने का ख़ासा मशहूर ब्रैंड होता था।
5. एडविना और पद्मजा से नेहरू का इश्क
नेहरू को लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन से इश्क था। मशहूर पत्रकार कुलदीप नैयर ने बीबीसी को बताया कि जब वो ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त थे तब उनको पता चला कि एयर इंडिया की फ्लाइट से नेहरू रोज एडविना को पत्र भेजा करते थे। एडविना उसका जवाब देती थीं और उच्चायोग का आदमी उन पत्रों को एयर इंडिया के विमान तक पहुंचाया करता था।
नैयर ने एक बार एडविना के नाती लार्ड रैमसे से पूछ ही लिया कि क्या उनकी नानी और नेहरू के बीच इश्क था? रैमसे का जवाब था, “उनके बीच आध्यात्मिक प्रेम था।” इसके बाद नैयर ने उन्हें नहीं कुरेदा। नेहरू के एडविना को लिखे पत्र तो छपे हैं लेकिन एडविना के नेहरू को लिखे पत्रों के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं हैं।
कुलदीप नैयर ने एक बार इंदिरा गाँधी से उन पत्रों को देखने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने उन पत्रों को दिखाने से साफ़ इनकार कर दिया था।
एडविना ही नहीं सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू के लिए भी नेहरू के दिल में सॉफ्ट कॉर्नर था। कैथरीन फ्रैंक इंदिरा गाँधी की जीवनी में लिखती हैं कि विजयलक्ष्मी पंडित ने उन्हें बताया था कि नेहरू और पद्मजा का इश्क ‘सालों’ चला।
6. इंदिरा की खातिर –
नेहरू ने उनसे इसलिए शादी नहीं की क्योंकि वो अपनी बेटी इंदिरा का दिल नहीं दुखाना चाहते थे। इंदिरा, नेहरू के जीवनीकार एस गोपाल से इस बात पर नाराज़ भी हो गई थी क्योंकि उन्होंने नेहरू के ‘सेलेक्टेड वर्क्स’ में उनके पद्मजा के लिखे प्रेम पत्र प्रकाशित कर दिए थे।
1937 में नेहरू ने पद्मजा को लिखा था, ‘तुम 19 साल की हो (जबकि वो उस समय 37 साल की थीं) और मैं 100 या उससे भी से ज़्यादा। क्या मुझे कभी पता चल पाएगा कि तुम मुझे कितना प्यार करती हो।’
एक बार और मलाया से नेहरू ने पद्मजा को लिखा था, ‘मैं तुम्हारे बारे में जानने के लिए मरा जा रहा हूँ।। मैं तुम्हें देखने, तुम्हें अपनी बाहों में लेने और तुम्हारी आँखों में देखने के लिए तड़प रहा हूँ।’ (सेलेक्टेड वर्क्स ऑफ नेहरू, सर्वपल्ली गोपाल, पृष्ठ 694)
7. नेहरू लिव्स…!
1964 में 27 मई को पूरे भारत को पता था कि नेहरू मौत से जूझ रहे हैं। ‘ब्लिट्ज़’ के संपादक रूसी करंजिया ने अपने सबसे काबिल स्तंभकार ख्वाजा अहमद अब्बास को बुलाया और कहा कि ‘नेहरू किसी भी मिनट मर सकते हैं। तुम्हें चार घंटे के अंदर उनकी ऑबिट लिखनी है’।
अब्बास ने अपने को एक कमरे में बंद किया। तभी आर्ट विभाग का एक शख़्स आया और बोला पहले हेड लाइन लिखिए। अब्बास ने लिखा ‘नेहरू डाइज़,’ फिर लिखा, ‘नेहरू डेड’, फिर लिखा ‘नेहरू नो मोर।’ फिर उन्होंने तीनों हेडलाइंस को काट दिया और नए सिरे से एक हेडलाइन दी। अगले दिन यही ब्लिट्ज़ की हेडलाइन थी।।।। नेहरू लिव्स..!
साभार : इतिहासनामा ( एक फेसबुक पेज )
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