प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया । ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है । मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है ।
पढ़िए सत्ता के हस्तांतरण की संधि ( Transfer of Power Agreement ) यानि भारत के आज़ादी की संधि । यह वो खतरनाक संधि है जिसका दंश हम आज भी झेल रहे हैं और आने वाली कई पीढियां इसे झेलते रहेगी।
अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है यह। 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में। उस समय महात्मा गांधी भी वहां मौजूद नहीं थे, क्योंकि वो भी कहीं न कहीं इस समझौते के विरोध में ही थे।
Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है। स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है। सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है। इसके बाद पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है।
बिल्कुल ऐसा ही कुछ हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे। लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया । कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये । अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे । यह अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था।
हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया । इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं । यह Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है । अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है “One of the self-governing nations in the British Commonwealth” और दूसरा “Dominance or power through legal authority “।
Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है । मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं । दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया । यह जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून ।
ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे । वो नोआखाली में थे । कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप । गाँधी जी ने मना कर दिया था । क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है । गाँधी जी ने स्पष्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है । गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी । उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया । ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है । मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है ।
क्रमशः…