ऐश्वर्या राय बच्चन से पूछताछ के बाद पनामा एक बार फिर सुर्खियों में है। मध्य अमेरिका का यह देश अपने नहरों के कारण प्रसिद्ध है।
क्या है पनामा पेपर्स लीक ?
उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के मध्य में स्थित एक छोटा सा देश है पनामा। इसी देश की एक कंपनी मोसेक फोंसेकाजिसकी स्थापना 1977 में हुई थी। इससे दुनियाभर में 3.5 लाख से ज्यादा कंपनियां जुड़ी हुई हैं।
मोसेक फोंसेका कम्पनी के ही करोड़ों दस्तावेज लीक हुए थे, जिन्हें पनामा पेपर्स लीक कहा जाता है। यह इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक था। इसमें करीब 6 टेरा बाइट डेटा है। करीब 11 मिलियन
पनामा पेपर लीक्स में भारतीय
इस दस्तावेज के लिस्ट में तकरीबन 500 भारतीयों के नाम भी थे। इनमें अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, डीएलएफ के केपी सिंह, इंडिया बुल्स के समीर गहलोत, अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी समेत कई प्रभावशाली लोगों के नाम थे। इस खुलासे ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को तो कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी।
पनमा पेपर लीक्स में दुनियां के बड़े चेहरे
पनामा पेपर्स लीक की लिस्ट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और बेनजीर भुट्टो, मिस्त्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद समेत दुनिया के 140 ताकतवर राजनेताओं के नाम शामिल थे।
पनामा पेपर केस: कैसे मिले रिकॉर्ड?
रिकॉर्ड एक अनाम स्रोत से जर्मन समाचार पत्र, सुदेउत्शे ज़ितुंग द्वारा पाए गए थे। डेटा को इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) के साथ साझा किया गया था, जिसने बदले में इसे अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के एक बड़े नेटवर्क के साथ साझा किया, जिसमें बीबीसी और गार्जियन जैसे मीडिया दिग्गज शामिल थे। इन पत्रों का प्रकाशन अप्रैल 2016 में शुरू हुआ।
ICIJ ने 1977 से 2015 तक करीब 40 सालों के दस्तावेजों को खंगाला और सवा 2 लाख से ऑफशोर कंपनियों की जांच की। इसके बाद 2016 की शुरुआत में ICIJ ने खुलासा किया जिसमें दुनिया के 193 देशों के राजनेता, बिजनेसमैन और सेलेब्रिटीज के नाम थे। आरोप लगा कि इन लोगों ने मोसेका फोंसेका की मदद से मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी कर अपनी दौलत को छिपाया।
पनामा में विदेशी निवेश पर टैक्स नहीं
पनामा जैसे देश में विदेशी निवेश पर कोई टैक्स नहीं लगता। पनामा में दो तरह के कर वसूले जाते हैं। एक टेरेट्रियल टैक्स सिस्टम दूसरा है कॉर्पोरेशन टैक्स सिस्टम। रेसिंडेंट और नॉन रेसिडेंट कंपनियों से तभी टैक्स वसूला जाता है, जब आय देश में ही हुई हो।
पनामा पेपर लीक मामला: क्या हैं नतीजे?
सभी अपतटीय संरचनाएं पूरी तरह से अवैध या कपटपूर्ण नहीं हैं। वे सभी टैक्स हैवन नहीं हैं लेकिन कुछ ऐसे मामले हैं जो उन सभी की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े करते हैं। रूस और यूक्रेन जैसे देशों में कुछ व्यापारिक घरानों ने अपराधियों द्वारा छापे से बचाव के लिए अपनी संपत्ति को अपतटीय में डाल दिया। साथ ही किसी भी देश के करदाता का पैसा बाहर नहीं जाना चाहिए। यह अंततः देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा है और राष्ट्र परिसर से बाहर जाने के बाद इसके चारों ओर एक समानांतर रूप बनाता है।
स्रोत : विकिपीडिया, आजतक व अन्य