नई दिल्ली.वरिष्ठ रॉकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) के अगले चीफ बनाए गए हैं.
केंद्र सरकार ने बुधवार को ये फैसला लिया था. वरिष्ठ रॉकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ ने gslv mk-iii लॉन्चर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अपने करियर के शुरुआती चरणों के दौरान पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (pslv) के एकीकरण के लिए एक टीम लीड की थी. अब वे इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख के सिवन की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल इसी हफ्ते शुक्रवार को खत्म हो रहा है.
केंद्र सरकार ने एस सोमनाथ को अंतरिक्ष विभाग का सचिव और अंतरिक्ष आयोग (स्पेस कमीशन) के चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया है. उनका कार्यकाल तीन साल का होगा. इससे पहले सोमनाथ 22 जनवरी 2018 से लेकर अब तक विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. वे अब इसरो में के सिवन की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है.
कई क्षेत्रों के एक्सपर्ट हैं एस सोमनाथ
एस. सोमनाथ की गिनती देश के बेहतरीन रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर में होती है.
एस सोमनाथ उच्च-दाब वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास कार्यों का भी हिस्सा रह चुके हैं.
सोमनाथ लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स और पाइरोटेक्नीक्स के एक्सपर्ट हैं. इसके अलावा, चंद्रयान-2 के लैंडर के इंजन को विकसित करने, जीसैट-9 में लगे इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम की उड़ान को सफल बनाना उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल रहा है.
1985 में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से जुड़े
सोमनाथ ने सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए विश्व भर में पसंद किए जाने वाले पीएसएलवी के इंटिग्रेशन डिजाइन को तैयार करने में विशेष भूमिका निभाई है. उन्होंने केरल से कोल्लम स्थित टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. इसके बाद सोमनाथ ने बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की. 1985 में वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से जुड़े. वह जून 2010 से 2014 तक gslv mk-iii के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे. इसके बाद वे lpsc के प्रमुख बनाए गए. एलपीएससी से आपूर्ति की गई प्रणोदन प्रणाली के साथ पंद्रह सफल उपग्रह मिशन भी पूरे किए गए.
बता दें कि इसरो ने बुधवार को अपने गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रायोजेनिक इंजन का आज सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया.