नई दिल्ली:- मि. मिन्थांग, मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के समुलामलन ब्लॉक में रहते हैं. एनईआरसीआरएमएस के हस्तक्षेप से पहले, नॉरकोरम चरण- III परियोजना के माध्यम से उन्होंने घंटे के आधार पर काम किया और मामूली आय अर्जित की. नियमित कार्य नहीं मिलने के कारण वे बहुत ही मुश्किल अपने परिवार की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा कर पा रहे थे और इस परिस्थितियों के कारण वे अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं कर सके.
वर्ष 2015-16 में जब एनईआरसीआरएमएस ने गांव में अपना हस्तक्षेप किया, मिन्थांग ने आय उत्पन्न करने वाली गतिविधि के रूप में पोल्ट्री की प्राप्ति की. पोल्ट्री उद्यम ने उन्हें अपने परिवार की वार्षिक आय बढ़ाने का अवसर प्रदान किया.
शुरूआती दौर में जब उन्हें प्रोजेक्ट फंडिंग मिली तो उन्होंने 215 मुर्गियों के साथ अपने पोल्ट्री फार्म की शुरूआत की. फॉर्म परिपक्वता के 45 दिन बाद ही उन्होंने अपने फॉर्म उत्पादों को बेचा और 15 हजार रुपये (15,000 रूपये) का मुनाफा कमाया.
बाद में उन्होंने अपने पोल्ट्री व्यापार का विस्तार करने के लिए अपनी आमदनी का एक हिस्सा निवेश किया और मुर्गियों की संख्या 1500 से बढ़ाकर 3000 कर दी. इन वर्षों में, उन्होंने दो घरों का निर्माण किया है, जिनमें से प्रत्येक घरमें 1500 मुर्गियों को रखा जा सकता है.