कोई भी संस्थान हो, यदि वे एक नियम बनाते हैं, तो जो छात्र पढ़ना चाहते हैं उन्हें बाध्य होना चाहिए।” कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने हिजाब को लेकर अपने बयान मे ये कहा. जिसके बाद कर्नाटक के उडुपी में गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार करने से जुड़ा विवाद और बढ़ गया है. अभी भी छात्राएं अपनी मांग को अड़ी हुई हैं। छात्रों का कहना है कि वो तब तक विरोध करती रहेंगी जब तक उन्हें कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जाती। वहीं, ये मुद्दा अब देशभर में जोर पकड़ रहा है।
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के स्टेट कमेटी के सदस्य मसूद मन्ना ने कहा, ‘ये शिक्षा के अधिकार और धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन है। ये छात्र आने वाली पीढ़ियों के लिए कक्षाओं में भाग लेने के दौरान हिजाब पहनने के लिए लड़ रही हैं।’ इसके बाद उन्होंने कहा, ‘यदि सरकार कोई समाधान नहीं देती है तो हम विरोध जारी रखेंगे। छात्रों को मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।’
विवाद की शुरुआत कुछ समय पहले उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में 8 मुस्लिम छात्रों को कक्षा में बैठने की अनुमति न देने की अनुमति के बाद हुई थी। कुछ छात्राएँ क्लास में हिजाब पहनकर आई तो कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें क्लास से बाहर निकाल दिया। इसके बाद इन छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने इस मामले को राजनीतिक बताया है। उन्होंने अपने बयान में कहा, “अब तक सभी बच्चे नियम का पालन कर रहे हैं। कोई भी संस्थान हो, यदि वे एक नियम बनाते हैं, तो जो छात्र पढ़ना चाहते हैं उन्हें बाध्य होना चाहिए। अब तक यूनिफॉर्म नियम का पालन किया गया था और अब ये सभी अचानक क्यों बदल गए?”
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, “इतने दिनों से धार्मिक स्वतंत्रता कहाँ गायब थी? यह राजनीतिक है। कक्षा में हिजाब (Hijab) पहनकर बैठना सरासर अनुशासनहीनता है। क्या होगा यदि दूसरे अपनी इच्छा के अनुसार कपड़े पहनना शुरू कर दें? क्या हमें उन्हें अनुमति देनी है, छात्र आधे कपड़े में आएंगे, क्या हमें उन्हें अनुमति देनी है?” स्कूल धर्म का प्रचार करने की जगह नहीं है।”