नई दिल्ली:आईएएस कैडर के नियमों में बदलाव को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. जिसमें अब केंद्र और रानियों के बीच खींचातानी शुरू हो गई है. ममता बनर्जी ने तो इस मुद्दे पर केंद्र को एक बड़े आंदोलन की धमकी भी दे डाली है.
आईएएस कैडर नियमों में संशोधन के प्रस्ताव को लेकर गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री इसके विरोध में हैं. खास कर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र ,छत्तीसगढ़ और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ऐतराज जताया है.
नए नियम कुछ इस तरह से होंगे,
नए नियम के तहत कोई राज्य किसी अधिकारी को केंद्र में भेजने में देरी करते हैं, तो उस अधिकारी को कैडर से रिलीव कर दिया जाएगा. केंद्र सरकार ही केंद्र में पोस्ट होने वाले अधिकारियों की संख्या तय करेगी, राज्य उसे मानेंगे. अधिकारी को लेकर राज्य-केंद्र के बीच किसी असहमति में केंद्र का फैसला माना जाएगा. केंद्र को जनहित में अधिकारियों की जरूरत होने पर राज्य तय समय में उन्हें रिलीव करेंगे.
पहले क्या था नियम
फिलहाल, अभी अधिकारी को केंद्र में जाने के लिए राज्य सरकार से एनओसी लेनी पड़ती है.कई बार अधिकारियों के मुद्दे पर राज्य और केंद्र के बीच टकराव देखने को मिला है. दो साल पहले इसी मुद्दे पर केंद्र और बंगाल सरकार के बीच जमकर टकराव देखने को मिला था. दिसंबर 2020 में बंगाल सरकार ने तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में भेजने की बात नहीं मानी थी.
cm ममता ने दी है आंदोलन की धमकी
सीएम ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर दूसरी बार pm को पत्र लिखा है और कहा है कि इस पर फिर से विचार नहीं किया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
बता दें कि , आईएएस प्रतिनियुक्ति नियमों में केंद्र के प्रस्तावित संशोधन पर विरोध के बीच सूचना एवं मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने इसका समर्थन किया है. चंद्रा ने कहा कि इससे केंद्र सरकार को और अधिकारी मिल सकेंगे.
अपूर्व चंद्रा ने कहा कि साल 2014 में अधिकारियों की नियुक्ति में कमी आई है. अधिकारियों की संख्या कम होने से केंद्र सरकार का प्रशासनिक ढांचा कमजोर होता है. उन्होंने कहा कि मेरे पास केंद्र और राज्य दोनों के साथ काम करने का अनुभव है और इन बदलावों को लागू करने में मदद मिलेगी. वर्तमान में केंद्र के पास 40 फीसदी जरूरत के मुकाबले केवल 18 फीसदी नियुक्तियां हैं.आईएएस कैडर नियमों में क्या है बदलाव की तैयारी