पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की अगुवाई में पाकिस्तान का एक पैनल इस मुद्दे को उठाएगा, सबसे पहले पाकिस्तानी मंत्री बयान देंगे और उसके बाद भारत के सचिव उनका जवाब देंगे। UNHRC के 42वें सेशन में होने वाली इस चर्चा में मंगलवार भारतीय समयानुसार दोपहर 3 बजे पाकिस्तानी विदेश मंत्री बोलेंगे, तो वहीं शाम 7 बजे के बाद भारत के अधिकारी जवाब देंगे।
भारत के द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को कमजोर किए जाने के मुद्दे को पाकिस्तान छोड़ ही नहीं रहा है। भारत का आंतरिक मामला होने के बावजूद पाकिस्तान इस मसले को दुनिया के कई मंचों पर उठा चुका है और हर जगह उसे मात मिली है। आज एक बार फिर पाकिस्तान की अपील पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल (UNHRC) में जम्मू-कश्मीर पर चर्चा होगी।
अब हर जगह से मात खाने के बाद एक बार फिर पाकिस्तान UNHRC में कदम उठाने जा रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री अपना बयान देंगे। हालांकि, भारत की तरफ से मंत्री नहीं बल्कि सचिव लेवल के अधिकारी ही जवाब देंगे। भारत के अधिकारी कश्मीर मसले पर पूरा डोज़ियर सौपेंगे, जिसमें पूरी स्थिति को समझाया जाएगा।
पाकिस्तान ने अभी तक इस मसले को जहां भी उठाया है वहां उसे मुंह की खानी पड़ी है। फिर चाहे वो अमेरिका-रूस से लगाई गई गुहार हो या फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में हो, हर जगह अनुच्छेद 370 के मसले को भारत का आंतरिक मसला बताया है और जम्मू-कश्मीर की समस्या पर द्विपक्षीय वार्ता करने को कहा है।
पाकिस्तान जिस मुस्लिम संगठन OIC का सदस्य है, उसके 15 सदस्य UNHRC में भी हैं। इसके अलावा चीन ऐसे में पाकिस्तान को इन देशों से काफी उम्मीदें हैं। हालांकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि हाल ही में जब पाकिस्तान ने कश्मीर के मसले को OIC में उठाया था तो उसे मुंह की खानी पड़ी थी।
अगर हम भारत की बात करें, तो भारत की तरफ से UNHRC में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), गिलगिट-बाल्टिस्तान का मसला उठाया जा सकता है। भारत की ओर से सभी 47 सदस्यों से संपर्क किया गया है, जिसमें चीन भी शामिल है।
अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मिस्र, जापान, नेपाल, साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और कतर जैसे देश भी खुले तौर पर भारत के साथ आ सकते हैं।
भारत को मुख्य तौर पर नॉर्वे, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, इटली, स्पेन, हंगरी, बुलगेरिया, चेक रिपब्लिक जैसे बड़े देशों का समर्थन है. इसके अलावा आइसलैंड, स्विटजरलैंड और स्लोवेनिया का भी समर्थन मिल सकता है, खास बात ये भी है कि अभी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन्हीं देशों के दौरे पर हैं।