नई दिल्ली.लता मंगेशकर साल 1999 से 2005 तक सदन का हिस्सा रही थीं. अपने 6 सालों के कार्यकाल में उन्होंने वेतन के भेजे गए चेक्स को कभी स्वीकार नही किया और हमेशा वापस भेज दिया.
एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा फाइल किए गए आरटीआई के बाद यह पता चला था कि लता मंगेशकर के वेतन से संबंधित मामले में वेतन-लेखा कार्यालय से लता को भेजे गए वेतन के सभी चेक वापस आ गए. इसके अलावा लता मंगेशकर ने कभी भी सांसद पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया था. यहां तक के उन्होंने नई दिल्ली में सांसदों को दिया जाने वाला घर भी अस्वीकार कर दिया.