काबुल, एएनआइ. अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद से वहां की आर्थिक हालात बिगड़ी हुई हैं. गरीबी और मानवीय संकट पहले से कहीं ज्यादा भयावह है. शिक्षा के क्षेत्र में भी अफगानिस्तान का बुरा हाल है. वैश्विक पटल पर स्थिति पर चिंतित तालिबान अब अफगानिस्तान में शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिए देश छोड़ कर गये विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को देश लौटने के लिए बुलाया है, शुक्रवार को तालिबान के आधिकारिक बयान में कहा गया कि संगठन ने देश के पुनर्निर्माण और वैज्ञानिक विकास में योगदान देने में मदद मांगी है.
तालिबान द्वारा कहा गया कि अफगानिस्तान सभी जातीय समूहों का आम घर है और हम उनके विकास के लिए जिम्मेदार हैं. समृद्धि के अभाव में देश की शिक्षा प्रणाली अधूरी है. तदनुसार, उच्च शिक्षा मंत्रालय उन सभी प्रोफेसरों को आमंत्रित करता है जो देश छोड़ चुके हैं. नए शैक्षणिक कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए आवंटित धन के साथ इस पर जोर दिया जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्रालय इन प्रोफेसरों के सभी आध्यात्मिक और आर्थिक लाभों का भुगतान करने का वचन देता है.
बता दें कि तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में सत्ता संभाली थी. एक महीने बाद उन्होंने एक अंतरिम सरकार बनाई जिसे अभी तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता नहीं मिली है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार पड़ोसी देश पाकिस्तान में पंजीकृत अफगान शरणार्थियों की संख्या 1.4 मिलियन (14 लाख) से अधिक है. अकेले ईरान ने 780,000 पंजीकृत अफगानों और 2.25 मिलियन अवैध शरणार्थियों को शरण दी है.