संवाददाता,
रांची : प्रदेश बीजेपी में 65 के लक्ष्य को पार करने के लिए लगातर ताबड़तोड़ बैठके की जा रही है.मंगलवार चुनाव प्रबंध समिति और बीजेपी कोर कमिटी की बैठक विधानसभा चुनाव प्रभारी ओमप्रकाश माथुर और सह प्रभारी नंदकिशोर यादव की अध्यक्षता में की गई.बैठक में सीएम रघुवर दास, प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा, प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, महामंत्री दीपक प्रकाश, ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, मंत्री सीपी सिंह समेत प्रदेश के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. इस दौरान बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा ने प्रेस वार्ता कर बताया कि इस विधानसभा में विपक्ष दूर-दूर तक नहीं दिखायी दे रही है. बीजेपी द्वारा लिया 65 सीटो का लक्ष्य आसानी से हासिल हो जाएगा. लेकिन अब बीजेपी उससे अधिक सीट जितने पर अपना फोकस कर रही है. उन्होंने ने बताया कि दो बैठके हुई जिसमें बीजेपी प्रदेश में बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक की कार्यो की चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए गए योजनाओं के लाभार्थियों तक अगर हम विधानसभा चुनाव तक संपर्क स्थापित करने में सफल होते है तो निश्चित तौर पर 65 के लक्ष्य को कोई नहीं रोक सकता है.
जदयू और एलजेपी के बगावत की स्थिति पर उन्होंने ने कहा कि सहयोगी दलों की अपनी-अपनी विचारधारा होती है. वह हमारे साथ आना चाहते हैं तो ठीक है वरना उनकी अपनी भी मर्जी है. हालांकि सीटो पर केंद्र नेतृत्व अपनी बातें रखेगा. जबकि एनडीए गठबंधन प्रदेश की 81 सीटों पर जितने वाले प्रत्याशियों के नाम घोषित किए जानेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगी राजनीतिक दल है. जिनका अलग अलग आधार है उस आधार पर राजनीति कर रहे हैं. अभी कई बैठके होनी है उसके बाद ही सीट और प्रत्याशी के नाम तय होंगे. वहीं उन्होंने कहा कि 12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रांची आने वाले हैं. जिसमें संथाल परगना के छह जिलों को छोड़कर सभी जिलों के कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे.
वहीं सरयू राय को घर घर रघुवर कार्यक्रम की जानकारी नहीं होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि सभी नेताओ को इसकी जानकारी दी गई है. सभी मंडलो में यह अभियान 9 सितंबर को चलाया गया जहाँ कोई न कोई नेता जरूर शामिल हुआ है. वहीं कोर कमिटी की बैठक में सीएम के पहुंचते ही मंत्री सरयू राय प्रदेश कार्यालय से निकल गए. इससे साफ झलक रहा है कि सरयू राय पार्टी को जिताने के लिए लगातर प्रयास कर रहे हैं पर वह सीएम रघुवर दास के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे हैं.