80.31 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी, जिसमें 28 प्रशासनिक ब्लॉक्स, 155 एकेडमिक ब्लॉक्स और 38 प्रयोगशालाएं, हेल्थकेयर, पावर बैकअप और क्लासरूम में प्रोजेक्टर्स, 50 हजार किताबों वाली एक लाइब्रेरी, इंडोर और आउटडोर खेल की सुविधा, इतना ही नहीं 24811.46 वर्गमीटर के कुल क्षेत्र में बना हुआ एक आवासीय ब्लॉक. मतलब एक यूनिवर्सिटी की सारी अहर्ताएं. यह सब कुछ है राजस्थान के सीकर के गुरुकुल यूनिवर्सिटी में. पर केवल कागजों पर. जी हाँ इतना सब कुछ केवल कागजों में है हकीकत में कुछ भी नहीं. इसका खुलासा हुआ है सीकर के कलेक्टर की रिपोर्ट में. सीकर कलेक्टर की रिपोर्ट में बताया गया है कि जहां यूनिवर्सिटी बताई गई है उस मौके पर कोई भी निर्माण नहीं हुआ है. राजस्थान विधानसभा में इस काल्पनिक यूनिवर्सिटी खोलने का बिल भी पेश कर दिया गया था. पर सदन में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौर के दावे के बाद आनन-फानन में गहलोत सरकार ने बिल वापस लिया और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए.
इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव ने कहाकि इसकी उच्च स्तरीय जांच की जाएगी. मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. विभाग द्वारा वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे साधनों को और बेहतर करना होगा. इसमें रेवेन्यू विभाग के अफसरों, एसडीएम और पीडब्लूडी के अफसरों को शामिल होना चाहिए और जमीन व कंस्ट्रक्शन देखकर वेरिफिकेशन करना चाहिए.
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह जांच का विषय है कि पूर्व में बनी कमेटी के सदस्यों ने आखिर कौन सी जगह का का वेरिफिकेशन किया था? यूनिवर्सिटी असलियत में किस हाल में है?
वहीं वेरिफिकेशन कमेटी के एक सदस्य प्रोफेसर जयंत सिंह का कहना है कि हमसे सरकार ने जो साइट विजिट करने के लिए कहा था हम वहां गए थे और रिपोर्ट भी जमा की थी. हमने वहां पर वीडियोग्राफी की थी और फोटो भी लिए थे. हमारे सामने कमेटी ऑफ लेटर ऑफ इंटेंट ने वेरिफिकेशन किया था. वहीं विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौर ने कहाकि 19 मार्च को मैंने खुद उस जगह का दौरा किया था और वहां कुछ नहीं था. उन्होंने कहाकि मेरी जानकारी में ऐसा पहली बार हुआ है जब विधानसभा में पेश होने के बाद कोई बिल वापस लिया गया है.