पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा का दर्द शुक्रवार को राज्यसभा में सांसद रूपा गांगुली के आंसुओं के रूप में दिखा. सांसद ने शून्य काल के दौरान बीरभूमि हिंसा के मुद्दे को उठाया और भावुक हो गईं. बीरभूम हिंसा पर संसद में हंगामा हुआ, जिसके कारण कुछ देर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. सांसद रूपा गांगुली ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया. इस दौरान बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
बीजेपी सांसद रूपा गांगुली ने भावुक होते हुए कहा, ‘पश्चिम बंगाल में लोग जीने लायक नहीं रह गए हैं, वहां एक-एक कर के लोग भाग रहे हैं. बंगाल में राष्ट्रपति शासन चाहिए. बंगाल में जन्म लेकर हमने कोई अपराध नहीं किया है. पश्चिम बंगाल की सरकार हत्यारों की रक्षा करती है. वहां दिन दिनदहाड़े गोलियों की आवाज सुनाई देती है. ऐसा कोई राज्य नहीं जहां जीते हुए लोगों को सरकार पकड़-पकड़कर मारती हो. जो लोग पश्चिम बंगाल में बोल नहीं पा रहे वे लोग क्या अंदर ही अंदर रो नहीं रहे होंगें?
गांगुली ने कहा, ‘झालदा में काउंसिलर मरता है, सात दिन के अंदर 26 हत्याएं होती हैं. आग से जलाकर दिया गया है. बीरभूम जिले में दो बच्चों सहित आठ लोगों को जलाकर मार दिया गया. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला है कि पहले सभी के हाथ पैर तोड़े गए और फिर कमरे में बंद करके जला दिया गया. राज्य की पुलिस पर किसी को भरोसा नहीं रह गया है.