RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि किसी भी समुदाय को अतिवाद का सहारा नहीं लेना चाहिए और सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘ सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. दिल में कोई अतिवाद नहीं होना चाहिए, ना ही शब्दों में और ना ही कार्य में. दोनों तरफ से डराने-धमकाने की बात नहीं होनी चाहिए. हालांकि, हिंदू पक्ष की ओर से ऐसा कम है. हिंदुओं ने बहुत धैर्य रखा है. हिंदुओं ने एकता के लिए बहुत बड़ी क़ीमत भी चुकाई है.’
ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उसका इतिहास जिसे हम बदल नहीं सकते. इस्लाम आक्रमणकारियों के जरिए भारत में आया तो भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों की मनोदशा कम करने के लिए हजारों देवस्थान तोड़े गए. यह आज के हिन्दू और मुस्लिमों ने नहीं बनाए. हमने 9 नवंबर को कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हमें कोई आंदोलन नहीं करेंगे लेकिन मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं. ऐसा कुछ है तो आपस में मिलकर-जुलकर मुद्दा सुलझाए.
मोहन भागवत ने संबोधन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस ने हमला किया है लेकिन भारत ने जो स्टैंड लिया गया है, वो एकदम संतुलित है. संघ प्रमुख ने भारत सरकार की इस पॉलिसी को एकदम सहा माना और कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारत को भी बता दिया है कि शक्ति संपन्न रहना जरूरी है.