Education Blog
  • मुख्य पृष्ठ
  • समाचार
  • सामान्य ज्ञान
  • करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा
  • परवरिश
  • जीवनी
  • भाषा और साहित्य
  • आज का इतिहास
No Result
View All Result
BnnBharat | bnnbharat.com | बी एन एन भारत Email: brownnewsnetwork@gmail.com
No Result
View All Result
Home स्वास्थ्य वनौषधि

विष वनस्पतियों में सिरिस श्रेष्ठ है: वनौषधि – 28

by bnnbharat.com
September 11, 2022
in वनौषधि, स्वास्थ्य
0
विष वनस्पतियों में सिरिस श्रेष्ठ है: वनौषधि – 28

विष वनस्पतियों में सिरिस श्रेष्ठ है: वनौषधि – 28

प्रचलित नाम- सिरिस

प्रयोज्य अंग– कांड की छल, पत्र, पुष्प तथा बीज ।

स्वरूप- अल्प शाखीत, पतनशील, फैला हुआ १५-१८ मीटर ऊँचा वृक्ष, पत्र संयुक्त पक्षवत, पुष्प पीत हरिताभ, सुगंधित मुंडक में।

स्वाद – तिक्त, कषाय ।

रासायनिक संगठन-इसकी छाल में टैनिन्स, सैपोनिन, ऐकिनोसायटीक अम्ल एवं बीटा सिटोस्टीरोल, इसके फल में सैपोनिन्स, ऐकिनोसायटिक अम्ल, ओलियोनोलिक अम्ल, ऐल्बीजेनाईन तथा ऐलबीजेनिक अम्ल, लेबाकैनिन-सी, ग्लुकोस तथा रहामनोस, इसके बीज में-ट्रायटर्पेनिक सैपोनिन पाया जाता है। गुण- बल्य, शोथहर, रक्तशोधन, ग्राही, वेदनाहर, वामन, विषघ्न ।

बीज का चूर्ण– नस्य के कफ प्रधान रोगों में लाभकारी ।
पुष्पों का स्वरस पिपली का चूर्ण एवं मधु के साथ श्वास रोग में लाभकारी।
उपयोग- सभी प्रकार के कास में, श्वास रोग में, कण्डुरोग, रक्तदोष, कुष्ठरोग, रतौंधी के उपचार में ।

मूल की छाल का चूर्ण मसूड़ों के लिये उत्तम, कुष्ठरोग के छालों पर इसका प्रयोग प्लास्टर के रूप में लाभकारी। कुष्ठरोग में इसकी छाल पीस कर कुष्ठ रोग के छालों पर लेप करना चाहिये।

कफज विसर्प में– शिरीष के पुष्पों के चूर्ण में घृत का थोड़ा सा मोयन देकर जल में पीसकर लेप करना चाहिये ।

श्वासरोग में-शिरीष के ताजे पुष्पों का स्वरस पिप्पली एवं मधु के साथ पिलाना चाहिये ।

सर्प विष में-श्वेत मरिच के चूर्ण में शिरिष पुष्प रस की सात दिन तक भावना देकर, शुष्क चूर्ण बनाकर इस चूर्ण का नस्य सेवन एवं अंजन करने से सर्प विष नष्ट होता है।

विष वनस्पतियों में इसे श्रेष्ठ बताया गया है।

अर्धाव भेदक में- इसके मूल तथा फली का स्वरस नासिका में एक-दो बूंद टपकानी चाहिये।
कृमिनाश के लिये शिरीष की कोमल पत्र सहित टहनियों का रस एवं अपामार्ग के पंचांग का रस मधु के साथ पिलाना चाहिये ।

नवीन नेत्राभिष्यंद में – शिरीष के पत्रों का स्वरस में मधु मिलाकर नेत्रों में अंजन करना चाहिये। इसके काण्ड के अंदर से निकाली गई कोमल त्वचा प्राप्त होती है, इस त्वचा का वस्त्रपूत चूर्ण बना लेना चाहिये।

यदि किसी को कोई चोट लगी हो, सिर फूट गया हो कोई अंग कट गया हो या रक्तस्राव हो रहा हो, तो इस चूर्ण को उस जगह भर कर दबा देने से रक्त स्त्राव शीघ्र ही बंद हो जाता है तथा एक पट्टी में क्षत का रोपण हो जाता है।

गण्डशोथ में इसके पत्रों की पीसकर कल्क बना गर्म करके बांधना चाहिए, इसका प्रयोग प्रत्येक दो-दो घंटे बाद करने से गण्ड को अंदर से पकाकर बाहर खींच लाता है।
इसके (शिरीष) बीजों का तेल रक्तातिसार में उपयोगी है।

कण्ठमाल की गांठों में-इसके बीज का चूर्ण का सेवन करना चाहिए तथा इन बीजों को पानी में पीसकर बाहर लेप करना चाहिये ।

मात्रा- छाल तथा बीज का चूर्ण-३ से ६ ग्राम।

छाल का क्वाथ- ५० से १०० मि.ली. ।

स्वरस- १० से २० मि.ली. ।

Albizzia lebbek, (Linn.) Benth. MIMOSAE (LEGUMINOSAE)

ENGLISH NAME:- East Indian walnut. Hindi-Siris

PARTS-USED:- Stem-bark, Leaves, Flowers and Seeds. DESCRIPTION:- An unarmed deciduous, spreading tree, 15-18 meter high, bark grey-brownish. Compound pinnate leaves, pinnal 2-3 pairs, pinnules 4-6 pairs costa oblique. Flowers greenish-yellow and aromatic in large heads, bad thin strap shaped.

Taste:- Bitter-Astringent.

CHEMICAL CONSTITUENTS-Bark Contains: Tannins, Saponin; Echinocyticacid and Beta-sitosterol, Podscontains: Saponins, Echinocytic acid Olionilic acid Albigenine and Albigenic acid, Lebbekanin-c, Glucose & Rhamnose: Seeds Contain: Triterpenic saponin.

Actions-Tonic, Anti-inflammatory, Bloodpurifier Astringent, Analgesic, Emetic. Antidote. USED IN- All types of Cough, Asthma, Scabies, Dyscrasia, Leprosy, Pruritus, Remedy for Night blindness, Powder of Root bark: Good for Gums, Externally applied as plaster in leprous ulcers.

अन्य भाषाओं में शिरीष के नाम (Name of Lebbeck Tree in Different Languages)
शिरीष माइमोसेसी (Mimosaceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ऐल्बिजिया लैबैक (Albizia lebbeck (Linn.) Benth) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Syn-Acacia lebbek (Linn.) Willd, Mimosa lebbeck Linn आदि नाम से भी जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैं:-

Lebbeck Tree in –

• Hindi – सिरस, सिरिस; उड़िया-बोडोसिरिसी (Bodosirisi), सिरीसी (Sirisi)
• English (albizia amara) – Lebbeck tree (लैबैक ट्री), East Indian walnut (ईस्ट इण्डियन वालनट)
• Sanskrit – शिरीष, मण्डिल, शुकपुष्प, शुकतरु, मृदुपुष्प, विषहन्ता, शुकप्रिय
• Urdu – दारश (Darash)
• Gujarati – गुजराती-सरसडो (Sarsado), काकीयो सरस (Kakiyo saras)
• Telugu – दिरसन (Dirsan), कालिन्दी (Kalindi)
• Tamil – वागै (Vagei), पांडील (Pandil);
• Bengali – बंगाली-शिरीष (Sirisha)
• Nepali – नेपाली-शिरिख (Shirikh), कालो सिरिस (Kalo siris);
• Kannada – बागेमारा (Bagemara)
• Marathi – शिरस (Shiras), चिचोला (Chichola);
• Malayalam – कट्टुवक (Kattuvaka), चेलिंगे (Chelinge)
• Konkani – गरसो (Garso)
• Arabic – सुल्तानुलसजर (Sultanaulasjar)
• Persian – दरख्ते जखरिया (Darakhte jakheria)

Share this:

  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Like this:

Like Loading...

Related

Tags: कुष्ठरोग के छालों पर इसका प्रयोगवनौषधि – 28विष वनस्पतियों में सिरिस श्रेष्ठ हैसर्प विष मेंसिरिस
Previous Post

सहारा करेगी भुगतान की शुरुआत, निवेशकों में खुशी : वायरल न्यूज़

Next Post

कटैली चवलाई शाक एक आयुर्वेदिक औषधि: वनौषधि – 29

bnnbharat.com

Most commented

आज का इतिहास: 3 जून के इतिहास, जानिए क्यों है आज का दिन खास

Today in History: आज का इतिहास : 2 जून का इतिहास – इतिहास के पन्नों में आज का दिन

01 जून का इतिहास : आज का इतिहास

जून महीने का इतिहास : History of month June

Today in History: आज का इतिहास : 31 मई का इतिहास – इतिहास के पन्नों में आज का दिन

Today in History: आज का इतिहास : 30 मई का इतिहास – इतिहास के पन्नों में आज का दिन

BnnBharat | bnnbharat.com | बी एन एन भारत Email: brownnewsnetwork@gmail.com

© 2023 BnnBharat

  • Privacy Policy
  • Admin
  • Advertise with Us
  • Contact Us

No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • समाचार
  • सामान्य ज्ञान
  • करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा
  • परवरिश
  • जीवनी
  • भाषा और साहित्य
  • आज का इतिहास

© 2023 BnnBharat

%d bloggers like this: