प्रचलित नाम- कालमेघ, चिरायता
प्रयोज्य अंग-पंचांग, पत्र एवं मूल ।
स्वरूप – एक वर्षायु उन्नत शाखीत गुल्म, कांड चतुष्कोणक, पत्ते अभिमुखी, पुष्प श्वेत, पंखुड़ियों के ऊपर बैंगनी रंग के धब्बे होते हैं।
स्वाद- तिक्त ।
रासायनिक संगठन-इस वनस्पति में कालमेघिन, एन्ड्रोग्राफोलिड, दैनिक अम्ल, सोडियम एवं पोटेशियम घटक पाये जाते हैं।
गुण- यकृत्तेजक, पित्तसारक, नियत कालिक, ज्वर प्रतिबंधक, कुष्ठघ्न, दीपन, पाचन, पौष्टिक ।
उपयोग- यकृतवृद्धि में, अरोचकता, विषम ज्वर, शोथ, चर्मरोगों में एवं रक्त शोधन में ।
आमवात एवं जीर्ण ज्वर में इसका पंचांग तीन ग्राम 25 मि.ली. जल में रात को भिगोकर, प्रातः कपड़े से उसे छानकर उसमें दो मि. ग्रा. कपूर, दो मि. ग्रा. शिलाजीत, पाँच ग्राम मधु के साथ मिलाकर सात दिन तक सेवन से लाभ होता है।
अम्लपित में– इसका पंचांग एवं भांग को मिलाकर इसका क्वाथ मधु के साथ सेवन से लाभ होता है। उदरशूल एवं अजीर्णता में-इसके ताजे पत्रों का रस जिसमें काली मिर्च, सैंधव नमक तथा थोड़ी हींग मिलाकर प्रतिदिन दो बार सेवन से लाभ होता है।
कालमेघ नवायस नाम के योग का उल्लेख ‘सिद्धयोग संग्रह’ (जादव जीत्रि आचार्य रचित) इसका प्रयोग बच्चों के पाण्डुरोग, जीर्णज्वर, यकृत रोगों में अत्यंत लाभकारी।
कालमेघ नवायस-शुण्ठी, काली मिर्च, पिप्पली, हरड़, बहेड़, आँवला, नागरमोथा, बायविडंग तथा चित्रक-इन नव द्रव्यों को सम भाग में लेकर इसमें सबके समान लोह भस्म मिलाने से यह नवायस बनता है। इस नवायस के समभाग में कालमेघ पंचांग का चूर्ण मिला दो। इसको कालमेघ के पत्रों के रस की सात भावनाएँ देने के पश्चात यह कालमेघ नवायस तैयार होता है। इस औषधि का प्रयोग 3 रत्ती की में बच्चों को मधु चटाना चाहिये के साथ पिलाना चाहिये। इससे-जीर्ण विषम ज्वर, आशक्ति, कुपचन कारण होने अतिसार तथा यकृत वृद्धि (लिवर कालमेघ का रस थोड़ी काली मिर्च के साथ देने से ज्वर उतर जाता है एवं कृमियों का नाश होता है।
कालमेघ नवायस का प्रयोग पाण्डुरोग में भी अतिलाभकारी।
मात्रा- स्वरस-एक छोटा चम्मच। चूर्ण-एक से तीन मि. ग्राम। क्वाथ- दो से चार तोला ।
अन्य भाषाओं में कालमेघ के नाम :-
Hindi- कालमेघ, कालनाथ, महातिक्त
Sanskrit- भूनिम्ब, कालमेघ
English (nilavembu in english)- कॉमन एन्ड्रोग्रैफिस (Common andrographis), करीयत (Kariyat), क्रीएट (Creat), किंग ऑफ बिटर (King of bitter); ग्रीन चिरेता (Green Chiretta)
Kannada- नेलबेवीनगीडा (Nelabevinagida), क्रीएता (Kreata)
Gujarati- लिलु (Lilu), करियातु (Kariyatu), ओलीकिरियत (Olikiriyat)
Tamil- नीलवेम्बु (Nilavembu), पीतउम्बे (Pitumbe)
Telugu- नेलवमु (Nelavamu), नीलावीनू (Nilavinu)
Bengali- कालमेघ (Kalmegh), महातीता (Mahatita)
Nepali- कालानाथ (Kalanath), तिक्ता (Tikta)
Malayalam- नेलवेप्पु (Nelaveppu), किरियता (Kiriyata), किरीयट्टु (Kiriyattu)
Marathi- ओलेनकिरायत (Olenkirayat)
Arabic- क्वासाबुज्जारिराह (Qasabuzzarirah), क्वासाभुवा (Qasabhuva)
Persian- नेनेहेवण्डी (Nainehavandi)
Andrographis paniculata, Nees. ACANTHACEAE
ENGLISH NAME:- The Creat. Hindi – Kalmegh PARTS-USED:- Whole Plant, Leaves and Roots.
DESCRIPTION:- An erect-branched, annual herb with Square stem, opposite leaves, flowers white with purple dots on corolla.
TASTE:-Bitter.
CHEMICAL CONSTITUENTS-Plant Contains: Kalmeghin, Andrographolid Tannicacid, Sodium and Potassium.
ACTIONS: Hepatic stimulant Cholagogue, Antiperiodic, Antileprotic, Stomachic, Digestion, Nutritive.
USED IN:-Hepatomegally, Anorexia, Malaria, Oedema, Skindiseases Blood Purifier.