प्रचलित नाम- वधारा/घावपत्ता
प्रयोज्य अंग- पंचांग, मूल, पत्र एवं बीज।
स्वरूप-घनी विशाल लता, सभी अंग मृदुरोम द्वारा आच्छादित, पत्ते हृदयाकार जिनकी ऊपरी सतह चिकनी जबकि निचली सतह मृदुरोम द्वारा आच्छादित ।
पुष्प सफेद (बाहर से) भीतर से गुलाबी या जामूनी रंग के होते हैं।
स्वाद- तिक्त ।
रासायनिक संगठन-इस वनस्पति में आर्जीनाइन, लायसिन, वॅलीन, बेहनीक अम्ल, लिनोलिक अम्ल, लिनोलेनिक अम्ल, ऑलिक अम्ल, पामीटिक एवं स्टीयरिक अम्ल, आरगोक्लेविन, क्लैनॉक्लेविन एलिमोक्लेविन, एरजीन, आइसोएरजीन, अर्गोमेट्रिन, फेस्टुक्लेविन, आइसो-सिटोक्लेविन एवं सिटोक्लेविन, लायसारजिन, लायसरगोल, लायसरजीक अम्ल, कैफिक अम्ल, ऐन्थोसायनिन, कॉमेरिन, फ्लेवोनोइड्स, क्वेरसेटिन, किम्फेरॉल एवं बीटा-सिटोस्टीरॉल घटक पाये जाते हैं।
गुण-रसायन, बल्य, बाजीकारक, मूत्रल, मेध्य, शोथहर
उपयोग- शोथ, आमवात, संधिशोथ, कास, ज्वर, अपसर्गिकामेह, जीर्णव्रण में लाभकारी।
इसका बाह्य प्रयोग कण्डु, दाद तथा अन्य चर्मरोगों में किया जाता है।
यह औषधि दाबहासी, उद्वेष्टहर, स्नेहन, रक्तोल्कलेशक (जिन द्रव्यों का लेप त्वचा पर करने से लाल हो जाय) ।
इसके मूल को 3-6 माशा देने से दस्त साफ होता है एवं यह एक पौष्टिक औषधि है।
इसके मूल के सेवन से आमवात एवं वात विकारों में लाभ होता है।
इसके पत्रों को गरम कर संधिशोथ भाग पर बांधने से लाभ होता है।
व्रणशोथ में भी पत्रों को गरम कर बांधने से लाभ होता है।
पंचांग का चूर्ण एवं अश्वगंधा का चूर्ण समभाग (३माशा) दूध के साथ सेवन से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
गण्ड या गेंगरीन पर पत्र की रोमश सतह वाला हिस्सा बांधना चाहिये, किन्तु गण्ड फूटने के लिये रोमश रहित सतह वाला हिस्सा बाँधना चाहिये।
मात्रा- -चूर्ण-3-6 ग्राम ।
. Argyrela nerbosa (Burm.f.) Argyreia speciosa Sweet
ENGLISH NAME:- Elephant Creeper. Hindi – Bidhara
PARTS-USED:- Whole plant, Root, Leaves and Seeds.
CONVOLVULACEAE
DESCRIPTION:-Extensive climber all parts Covered with tomentum of softsilkyhairs; leaves broadly, ovate cordate upper surface smooth, lower surface covered with soft silky hairs; fls-rose purple fruit globose on persistant calyse, apiculate.
TASTE:-Bitter.
CHEMICAL CONSTITUENTS- Plant Contains: Arginine, Lycine, Valine, Behenic acid, Linolicacid Linolenicacid, oleicacid, Palmitic and Stearic acid, Argoclavine, Clanoclavine-I & II Elymoclavine, Ergine, Isoergine, Ergometrine, Fastuclavine, Iso Setoclavine and Setoclavine, Lysergine, Lysergol, Lysergicacid, Caffeic acid, Anthocyanin, Coumarin, Flavonoids, Quercetine, Kaempferol and Beta-Sitosterol.
ACTIONS: Rejuvenator, Tonic, Aphrodisiac, Diuretic, Nervine tonic, Anti-inflammatory.
It is also Hypotensive, Spasmolytic, Emolient, Rubifacient. Emalient, digestive aperient, carminative.
USED IN:-Oedema, Rheumatoid arthritis, Cough, Fever, Gonorrhoea, Chronic ulcers,
Externally applied to Eczema, Ringworm and other skin diseases and wounds.