• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
BnnBharat
  • News
  • National
  • International
  • Politics
  • Today in History
  • Education
  • Sanatana
  • Health is Wealth
No Result
View All Result
  • News
  • National
  • International
  • Politics
  • Today in History
  • Education
  • Sanatana
  • Health is Wealth
No Result
View All Result
BnnBharat
No Result
View All Result
Home समाचार शिक्षा भाषा और साहित्य छोटी कहानियाँ

चोर हंसने से पहले क्यों रोया? : विक्रम और बेताल – 14

by bnnbharat.com
December 26, 2022
in छोटी कहानियाँ, भाषा और साहित्य, विक्रम और बेताल, समाचार
0
चोर हंसने से पहले क्यों रोया? : विक्रम और बेताल – 14
0
SHARES
0
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

एक बार फिर राजा विक्रमादित्य, बेताल को पेड़ से उतारकर कंधे पर लादकर योगी की ओर बढ़ने लगता है। इस दौरान बेताल फिर से राजा को एक नई कहानी सुनाता है और शर्त वही होती है, अगर राजा ने मुंह खोला तो वो उड़ जाएगा और जवाब पता होते हुए भी नहीं दिया तो राजा की गर्दन को धड़ से अलग कर देगा। बेताल राजा को सुनाता है…

बहुत साल पहले अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का एक राजा राज करता था। उसी राज्य में एक साहूकार भी रहता था। धनी साहूकार का नाम था रत्नदत्त। उसकी एक ही सुंदर सी बेटी थी रत्नावती। रत्नावती के लिए कई रिश्ते आए, लेकिन उसने किसी से भी शादी करने के लिए हां नहीं की। इस वजह से उसके पिता काफी परेशान थे। रत्नावती को सिर्फ सुंदर और धनवान नहीं बल्कि बुद्धिमान और बलवान वर चाहिए था।

एक और रत्नावती के पिता अपनी बेटी से परेशान थे। दूसरी ओर नगर में चोरी शुरू होने लगी थी, जिस वजह से रत्नदत्त को हर समय यह डर सताता था कि कहीं, उसके घर से चोर सारा धन न लेकर चला जाए। इसी बीच रत्नावती की मुलाकात उस चोर से हो जाती है। रत्नावती को लोगों के घरों से फल तोड़कर खाने में बड़ा आनंद आता था। वह चोर रत्नावती को आम चुराना सिखाता है। वह लड़की उससे बहुत प्रभावित होती है और रोज उससे मिलने लगती है। वक्त के साथ-साथ उसे चोर से प्यार हो जाता है।

इधर, चोर रोज रत्नावती से मिलने के बाद चोरी करने के लिए निकल जाता था। उधर, अयोध्या में बढ़ती चोरी से परेशान राजा ने सारे मंत्रियों और पहरेदारों को डांट लगाते हुए कहा, “नगर में रोज चोरियां हो रही हैं, लेकिन न तो कोई पहरेदार उसे पकड़ पा रहा है और न ही कोई मंत्री उसे पकड़ने की योजना बना पा रहा है।” इसके बाद राजा ने खुद चोर को पकड़ने का फैसला लिया। चोर को पकड़ने के लिए राजा रोज रात को नगर में घूमने लगे।

एक दिन राजा ने रात में किसी को घर में कूदते हुए देखा। राजा को शक हुआ तो वह भी उसके पीछे चल पड़े। जैसे ही राजा वहां पहुंचे तो चोर उन्हें देखकर कहने लगा, “अरे! मुझे तो लगता था कि यहां मैं ही एक चोर हूं। तुम भी चोरी के इरादे से यहां आएं हो।” राजा कुछ भी नहीं कहते। इसके बाद चोर कहता है, “तुम भी चोरी के इरादे से आए हो और मैं भी। तो तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है। तुम एक तरह से मेरे मित्र हो।” इसके बाद चोर, राजा वीरकेतु को अपने घर चलने का निमंत्रण देता है। चोर का आग्रह सुनकर राजा उसके साथ चले जाते हैं।

चोर उन्हें अपनी गुफा में ले जाता है, जहां उसने सारा चोरी का धन छिपा रखा था। राजा वीरकेतु इतना सारा धन और गुफा में मौजूद सुख-सुविधाओं को देखकर हैरान रह गए। कुछ देर बाद राजा ने चोर से पूछा, “तुमने इतना सारा धन इकट्ठा कर रखा है। तुम्हें चोरी करते हुए डर नहीं लगता।” चोर जोर से हंसकर कहता है, “राजा की सेना में कोई भी साहसी नहीं है और न ही वो अपने काम को ईमानदारी कर रहे हैं। अगर एक व्यक्ति भी अपना कार्य ईमानदारी से करता, तो इतना मुश्किल नहीं होता मुझे पकड़ना। एक चोर राजा की पूरी सेना पर भारी पड़ गया है। वहां कोई योद्धा ही नहीं है।” यह सुनते ही राजा ने अपनी तलवार निकाली और चोर से युद्ध करके उसे अपना बंधी बना लिया।

चोर हैरान रह गया। उसे कुछ देर बाद समझ आया कि इतनी देर से राजा भेष बदलकर उसके साथ थे। राजा वीरकेतु उसे अपने साथ राजमहल ले जाते हैं और फांसी पर चढ़ाने की सजा सुना देते हैं। जैसे ही इस बात का एलान होता है कि चोर पकड़ा गया और उसे फांसी होने वाली है, तो रत्नावती परेशान हो जाती है। उसे पता चल गया था कि राज्य में जो चोरी कर रहा था, वही उसे आम चुराना सिखाता था। परेशान होकर रत्नावती अपने पिता रत्नदत्त से कहती है, “पिता जी, जिस व्यक्ति को मैं मन-ही-मन अपना पति मान चुकी हूं, उसे राजा ने पकड़ लिया है और वो उसे फांसी पर लटकाने वाले हैं। आप कुछ कीजिए।” रत्नदत्त को अपनी बेटी की बात समझ ही नहीं आती है। तब वह अपने पिता को चोर और अपनी मुलाकात के बारे में विस्तार से बताती है और कहती है कि वो उसके बिना नहीं रह सकती है।

रत्नदत्त अपनी बेटी को समझाने की कोशिश करता है। जब बेटी नहीं मानती है, तो वह मजबूर होकर राजा के पास चला जाता है। वह राजा को बताता है कि उसकी बेटी रत्नावती चोर से बहुत प्यार करती है। अगर उसे फांसी हो गई, तो वह भी अपने प्राण त्याग देगी। वह व्यापारी अपनी बेटी के खातिर राजा को सोने के सिक्के और चोर द्वारा चुराया गया सारा धन देने का प्रस्ताव रखता है, लेकिन राजा उसकी एक नहीं सुनते। कुछ देर बाद ही राजमहल में रत्नावती पहुंच जाती है। वह भी राजा से आग्रह करती है, लेकिन राजा किसी की नहीं सुनते और जल्लाद से चोर को जल्दी फांसी देने को कह देते हैं।

जैसे ही चोर को फांसी होने वाली होती है, वह पहले रोता है और फिर जोर से हंसने लगता है। उस चोर को फांसी होते ही, लड़की भी अपने प्राण त्यागने की कोशिश करती है। उसी वक्त आकाशवाणी होती है। भगवान रत्नावती से कहते हैं, “हे पुत्री! तुम्हारा प्रेम बहुत पवित्र है। तुम्हारे इस प्यार को देखकर हम बहुत खुश हुए हैं। तुम मांगों, जो भी तुम्हें मांगना है।” यह सुनकर रत्नावती कहती है, “मेरे पिता का कोई बेटा नहीं, आप उन्हें आशीर्वाद दें कि उनके सौ पुत्र हो जाएं।” एक बार फिर, आकाशवाणी होती है, “ऐसा ही होगा, लेकिन तुम कुछ और भी वरदान मांग सकती हो।” फिर रत्नावती कहती है, “मैं उस चोर से बेहद प्यार करती हूं, अगर हो सके तो आप उन्हें जीवित कर दीजिए।” रत्नावती के वरदान मांगते ही चोर फिर से जीवित हो जाता है।

इधर, यह सब देखकर राजा बहुत हैरान हो जाते हैं। उधर, चोर जीवित होने के बाद एक बार फिर रोता है और फिर जोर-जोर से हंसने लगता है। इसी दौरान राजा चोर को कहते हैं, “अगर तुम सही रास्ते पर चलने का वचन देते हो, तो मैं तुम्हें राज्य का सेनापति घोषित करने को तैयार हूं”। चोर खुशी-खुशी हां कर देता है।

इतनी कहानी सुनाते ही बेताल चुप हो जाता है। फिर विक्रमादित्य से पूछता है, “हे राजन! बताओ, वह चोर फांसी चढ़ते समय और जीवित होने के बाद क्यों पहले रोया और फिर हंसने लगा।” राजा ने जवाब दिया, “सुन बेताल, चोर को दुख इस बात का हुआ कि उसने जीवन में सिर्फ चोरी ही की, इसके बाद भी इतनी सुंदर लड़की उसके लिए मरने के लिए तैयार है। फिर हंसा इसलिए, क्योंकि उसने सोचा, एक ऐसी लड़की जिससे राजकुमार भी शादी करना चाहते थे, उसे प्यार भी हुआ तो एक चोर से। दोबारा जिंदा होने के बाद वो नया जीवन मिलने पर रोया और खुश भगवान के खेल को देखकर हुआ।”  एक बार फिर सही जवाब मिलने के बाद बेताल उड़कर पेड़ से जा लटका।

सच्चाई और मेहनत की राह अपनाकर अपने पिछले बुरे कर्मों को हराया जा सकता है।

शिक्षा: पहली सीख यह मिलती है कि प्यार में बड़ी ताकत होती है। दूसरी सीख यह है कि जीवन में सही व्यक्ति को चुनने से कई परेशानियों से बचा जा सकता है।

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on X (Opens in new window)

Like this:

Like Loading...

Related

Previous Post

अपराधी कौन? : विक्रम और बेताल – 13

Next Post

शशिप्रभा किसकी पत्नी? : विक्रम और बेताल – 15

bnnbharat.com

Next Post
शशिप्रभा किसकी पत्नी? : विक्रम और बेताल – 15

शशिप्रभा किसकी पत्नी? : विक्रम और बेताल – 15

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Trending
  • Comments
  • Latest
पत्रकारिता की अवधारणा, अर्थ एवं स्वरूप

पत्रकारिता की अवधारणा, अर्थ एवं स्वरूप

December 22, 2022
ब्रेकिंग: झारखंड में कोरोना पॉजिटिव चौथा मरीज सामने आया

ब्रेकिंग: झारखंड में कोरोना पॉजिटिव चौथा मरीज सामने आया

April 6, 2020
झारखण्ड में कोरोना वायरस का तीसरा मामला, बोकारो डीसी ने  की पुष्टि

झारखण्ड में कोरोना वायरस का तीसरा मामला, बोकारो डीसी ने की पुष्टि

April 5, 2020
राज्य के 5000 पारा शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को भेजा त्राहिमाम संदेश

राज्य के 5000 पारा शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को भेजा त्राहिमाम संदेश

April 6, 2020
मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले सांसद अर्जुन मुंडा

मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले सांसद अर्जुन मुंडा

0
शपथ ग्रहण से पहले PM मोदी ने महात्‍मा गांधी, अटल जी और शहीदों को दी श्रद्धांजलि

शपथ ग्रहण से पहले PM मोदी ने महात्‍मा गांधी, अटल जी और शहीदों को दी श्रद्धांजलि

0
शपथ ग्रहण के बाद PM मोदी का पहला ट्वीट, 'देश के विकास के लिए मिलकर काम करेंगे'

शपथ ग्रहण के बाद PM मोदी का पहला ट्वीट, ‘देश के विकास के लिए मिलकर काम करेंगे’

0
पीएम मोदी के मंत्रि‍मंडल में अम‍ित शाह समेत 24 कैबि‍नेट मंत्री बने, जानें किसे किसे म‍िला मौका

पीएम मोदी के मंत्रि‍मंडल में अम‍ित शाह समेत 24 कैबि‍नेट मंत्री बने, जानें किसे किसे म‍िला मौका

0
आज का इतिहास

8 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 8, 2023
आज का इतिहास

7 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 7, 2023
आज का इतिहास

6 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 6, 2023
आज का इतिहास

5 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 5, 2023

Recent News

आज का इतिहास

8 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 8, 2023
आज का इतिहास

7 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 7, 2023
आज का इतिहास

6 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 6, 2023
आज का इतिहास

5 दिसम्बर का इतिहास :आज का इतिहास

December 5, 2023
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

© 2023 BNNBHARAT

No Result
View All Result
  • News
  • National
  • International
  • Politics
  • Today in History
  • Education
  • Sanatana
  • Health is Wealth

© 2023 BNNBHARAT

%d bloggers like this: