लखनऊ, 21 जून: उत्तर प्रदेश में चोरी, लूट, साइबर जालसाजी जैसी घटनाओं समेत अन्य मामलों में एफआईआर न दर्ज होने पर पुलिस थानों का चक्कर लगाने की भी जरूरत नहीं है। अब उप्र पुलिस के मोबाइल एप्लीकेशन ‘यूपी कॉप एप’ के माध्यम से अज्ञात के खिलाफ ई-एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी।
एप को तैयार करने वाले एडीजी (तकनीकी सेवा) आशुतोष पांडेय ने बताया कि इन मामलों में पीड़ित को थानों के चक्कर लगाने होते हैं और समय से एफआईआर दर्ज न होने पर भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आम नगरिकों की सहूलियत और पुलिस का बोझ कम करने के लिए इस प्रकार का एप्स तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया कि अब पुलिस से संबंधित कुल 27 जनोपयोगी सुविधाएं हासिल करने के लिए लोगों को थानों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। नौकरों का सत्यापन, चरित्र प्रमाणपत्र के लिए आवेदन व सत्यापन, धरना-प्रदर्शन, समारोह और फिल्म शूटिंग के लिए अनुमति भी इस एप पर मिल सकेगी। जो दस्तावेज जिलाधिकारी के यहां से जारी होते हैं, उसके लिए एप को ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से जोड़ा गया है। वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को भी एप के माध्यम से सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दुर्व्यवहार की रिपोर्ट, लावारिस लाश, गुमशुदा की तलाश, चोरी गई और रिकवर हुई गाड़ियों की जानकारी भी एप पर उपलब्ध होगी।
एडीजी ने बताया कि अब लोगों को थानों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। थाना उनके मोबाइन फोन में है। बस, एक क्लिक करें और यूपी कॉप एप डाउनलोड कर ई-एफआइआर दर्ज करें।
उन्होंने बताया कि एप्लीकेशन डाउनलोड करने के लिए एंड्रॉयड फोन के प्ले स्टोर में जाकर यूपी कॉप सर्च करना होगा। डाउनलोड होने के बाद एप पर शिकायतकर्ता को अपना पंजीकरण कराना होगा। इससे उसकी अपनी खुद की आईडी बन जाएगी। आईडी बनाने के लिए पीड़ित को अपना नाम मोबाइल नंबर भी अपडेट करना होगा। आईडी बनने के बाद इसे लागिन किया जा सकता है।
आशुतोष ने बताया कि इस एप के माध्यम से एक आम नागरिक भी बीते 24 घंटे में किसी जिले या थानाक्षेत्र में हुई गिरफ्तारी का विवरण देख सकता है। साथ ही बीते 24 घंटे में दर्ज साइबर अपराध से संबंधित अंतिम 10 एफआईआर भी देखी जा सकती है, ताकि पता चल सके कि साइबर क्राइम से संबंधित किस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं, इनामी बदमाशों, जिला बदर अपराधियों और गुंडा एक्ट के मामलों की सूची भी एप पर उपलब्ध है।
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उन्होंने कहा कि थाने, क्षेत्राधिकारी या पुलिस अधीक्षक के मोबाइल नंबर भी इस एप के ‘कॉल अस बटन’ पर उपलब्ध हैं। अगर आप लांग ड्राइव पर हैं तो यह एप दुर्घटना बहुल क्षेत्र के बारे में भी जानकारी देगा। इसके अलावा किसी तरह की सूचना पुलिस से साझा करने का विकल्प भी इस एप पर है, जहां आपकी पहचान को गोपनीय रखा जाएगा।
पांडेय ने बताया कि इस एप पर ई-सुरक्षा के लिए पूरी गाइडलाइन भी उपलब्ध होगी। इसमें एटीएम कार्ड, वन टाइम पासवर्ड, फर्जी फोन कॉल के जरिए होने वाले फ्रॉड को लेकर किस तरह सचेत रहें, यह बताया गया है। एटीएम बूथ में किस तरह की सावधानी बरती जाए, एटीएम से पेमेंट करते समय खास सावधानी बरतने समेत 26 तरह से होने वाले साइबर अपराधों से बचाव के बारे में बताया गया है।
एप पर आरबीआई की गाइडलाइन भी दी गई है, जिसमें सेफ डिजिटल बैंकिंग और उपभोक्ता की जिम्मेदारी बताई गई है। उन्होंने बताया कि अभी तक इससे चोरी की 437 ई एफआईआर दर्ज की गई हैं। वाहन चोरी की 85, मोबाइल चोरी की 111, साइबर क्राइम की 362, गुमशुदगी की बच्चों की 3 और लूट की 69, अभी तक कुल एक जनवरी से लेकर 13 जून तक कुल 1067 मामले दर्ज किए गए हैं।
आशुतोष ने बताया कि खोई वास्तुओं की 28,8763 रिपोर्ट दर्ज हुई हैं, जिनमें से 34,9050 देखी गई हैं। अभी तक इसके माध्यम से 8,355 चरित्र प्रमाणपत्र, 44 जुलूस की अनुमति, 20 प्रदर्शन, 914 पोस्टमार्टम, 5 फिल्म शूटिंग की अनुमति दी जा चुकी है।
एडीजी (तकनीकी सेवा) के मुताबिक, पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने यूपी कॉप एप के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश के सभी थानों को निर्देशित किया है। थानों में भी अब बैनर पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे उन्हें बेवजह भागदौड़ न करनी पड़े।
आशुतोष पांडेय ने बताया कि यूपी कॉप से जुड़ने वाले की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। लोगों को घर बैठे अपनी समस्यों से निजात मिलने का एक विकल्प मिल गया है।