रवि भारती
रांचीः वर्ष 2008 में नेट और जेट के जरीए हुई लेक्चरर बहाली में एक नया मोड़ आ गया है. CBI ने शिकंजा कस दिया है. सूत्रों के अनुसार लेक्चरर नियुक्ति में ब्यूरोक्रेट्स सहित IFS और राज्य प्रशासनिक सेवा के संबंधी भी उपकृत हुए. इन अफसरों ने अपने संबंधियों के लिये पैरवी की. झारखंड कैडर के 5 IAS, 2 IFS और राज्य प्रशासनिक सेवा के एक-एक संबंधी की नियुक्ति जेट के जरिये हुई. इसमें चार अफसर वर्तमान में सचिव रैंक के हैं. एक अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. दो IFS CF रैंक के हैं. वहीं राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर भी काफी दिनों तक JPSC में ही पदस्थापित रहे. इस सभी संबंधियों की नियुक्ति पर भी जांच की आंच है. वर्ष 2008 में 745 लेक्चर की बहाली नेट व जेट के जरिये हुई थी. नेट पास अभ्यर्थियों की सेवा संपुष्ट हो गई है. जबकि जेट पास अभ्यर्थियों की सेवा संपुष्ट नहीं हो पाई है. सूत्रों के अनुसार जेट से लेक्चचर बने लोगों का जेपीएससी के पास रिकॉर्ड ही नहीं है.
214 लेक्चरर हैं जांच के दायरे में
लेक्चरर नियुक्ति मामले में जेट के जरिये 214 लेक्चचर की नियुक्ति हुई थी. ये सभी जांच के दायरे में है. इस मामले में CBI ने सभी विश्वविद्यालय प्रबंधन को रिमांडर भेज कर पूछा था कि किस आधार पर व्याख्ताओं की सेवा संपुष्ट की गई. CBI ने ये सवाल भी किया था कि विश्व विद्यालय ने कैसे तय किया कि नवनियुक्त व्याख्याताओं का प्रमाण पत्र सही है. जिस समय लेक्चरर की बहाली हुई थी,उस समय नियोक्ता रांची यूनिवर्सिटी थी. नियमत: JPSC ने नियुक्ति से संबंधित फाइल रांची यूनिवर्सिटी को सौंप दी थी. विश्वविद्यालय बंटने के बाद दूसरे विश्वविद्यालयों ने आनन-फानन में नव नियुक्त लेक्चररों की सेवा संपुष्ट कर दी. नियम के अनुसार, संपुष्टि के लिये रांची यूनिवर्सिटी की स्वीकृति जरूरी थी. दूसरा कारण यह भी था कि निगरानी जांच चलने के बावजूद विनोबा भावे ने 176, कोल्हान ने 100 और नीलांबर-पीतांबर ने 33 लेक्चरर की सेवा संपुष्ट कर दी. वहीं रांची यूनिवर्सिटी ने बाद में लेक्चरर की सेवा संपुष्ट की.
ये परीक्षाएं हैं जांच के दायरे में
प्रथम सिविल सर्विसेस परीक्षा
द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा
प्रथम शिक्षक नियुक्ति परीक्षा
द्वितीय शिक्षक नियुक्ति परीक्षा
बाजार पर्यवेक्षक
सहकारिता
व्याख्याता नियुक्ति(जेट)