लोकसभा में आज वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश होगा. बीजेपी ने पिच तैयार कर दी है और नीतीश, चंद्रबाबू नायडू समेत एनडीए की सभी पार्टियां लामबंद हो गई हैं. सांसदों के लिए व्हिप भी जारी हो गए हैं. सरकार ने सहयोगी दलों के सुझावों को भी शामिल किया है. इधर, विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है. इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां संसद में वक्फ संशोधन बिल का विरोध करेंगी.
सरल शब्दों में वक्फ को जानिए
सरल शब्दों में वक्फ मुसलमानों द्वारा किया जाने वाला धार्मिक दान है, जो ज्यादातर संपत्ति के रूप में होता है. इनमें से अधिकांश दान वैलिड डॉक्युमेंट के बिना किए जाते हैं. ऐसे दान से मिलने वाली आय का प्रयोग मस्जिदों, कब्रिस्तानों के रख-रखाव में किया जाता है. इसके अलावा मदरसों और अनाथालयों को फंडिंग भी इसी से दी जाती है. कोई भी संपत्ति एक बार जब वक्फ के रूप में नामित हो जाती है तो उसे किसी को बेचा नहीं जा सकता. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में वक्फ बोर्ड 8.72 लाख संपत्तियों को कंट्रोल करते हैं. यह 9.4 लाख एकड़ से भी ज्यादा है.
भाजपा के पास लोकसभा में पर्याप्त वोट और राज्य सभा में बहुमत भी है
वक्फ बिल पास कराने के लिए भाजपा के पास लोकसभा में पर्याप्त वोट हैं. 543 सदस्यों वाली लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसदों का बहुमत है. इसमें जेडी(यू) के 12 सांसद शामिल हैं. टीडीपी के 16 सांसद हैं. दोनों ही दल बिल के पारित होने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. दोनों ही दल अपने राज्य में मुस्लिम वोटों पर आश्रित हैं. ऐसे में इनके स्टैंड को लेकर स्थिति साफ नहीं थी लेकिन बिल के सदन में पेश होने से पहले दोनों ने इसके समर्थन का एलान किया है. राज्यसभा की बात करें तो वहां इस विधेयक को लेकर कोई अड़चन नहीं आने वाली है. राज्यसभा में एनडीए को 125 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. यह बहुमत के 118 के आंकड़े से 7 ज्यादा है
नया बिल Vs पुराना बिल
- पुराने कानून के मुताबिक, अगर वक्फ बोर्ड किसी प्रॉपर्टी पर दावा करता है तो प्रॉपर्टी का मालिक सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल में ही अपील कर सकता है. नए बिल में प्रावधान है कि वह ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या अन्य ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकेगा.
- पुराने बिल के अनुसार, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा. इसे और कहीं चुनौती नहीं दी जा सकती. नए बिल में प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी.
- अगर किसी जमीन पर मस्जिद है या उसका प्रयोग इस्लामिक कामों के लिए हो रहा है तो वह अपने आप वक्फ की संपत्ति हो जाती है. ऐसा प्रावधान पुराने कानून में है. नए कानून में इसे हटा दिया गया है. कहा गया है कि जब तक किसी ने वक्फ को संपत्ति दान न की हो, वह वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं होगी. भले उस पर मस्जिद ही क्यों न बनी हो.
- सबसे ज्यादा विवाद जिस बिंदु पर है वो है कि वक्फ बोर्ड में अब अन्य धर्म के लोगों और महिलाओं की भी नियुक्ति की जा सकेगी. हालांकि, पुराने कानून में इसकी सख्त मनाही थी.नए कानून के हिसाब से वक्फ बोर्ड में 2 महिलाएं और अन्य धर्म के 2 सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी.