केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को ‘हिंदी दिवस’ के अवसर पर देश को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने नागरिकों से महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के सपनों को साकार करने के लिए अपने रोजमर्रा के कामों में हिंदी भाषा का प्रयोग बढ़ाने के लिए आग्रह किया। हालांकि शाह के इस आग्रह के बाद हिंदी को लेकर सियासत भी तेज हो गई। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और डीएमके नेता एमके स्टालिन ने अमित शाह के बयान पर अपना विरोध जताया।
शाह ने कहा, बापू-पटेल के सपनों को पूरा करें
शाह ने हिंदी में ट्वीट कर कहा, ‘भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही है। आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर पूज्य बापू और लौह पुरुष सरदार पटेल के देश की एक भाषा के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।’
ओवैसी और स्टालिन ने बोला हमला
शाह के इस बयान पर ओवैसी और स्टालिन ने हमला बोल दिया। लोकसभा सांसद ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। क्या आप इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अपनी अलग भाषा और संस्कृति का अधिकार देता है। ओवैसी ने कहा कि भारत हिंदी, हिंदू, हिंदुत्व से भी बड़ा है। वही, स्टालिन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘हम हिंदी थोपने का काफी समय से विरोध कर रहे हैं। आज अमित शाह के बयान ने हमें धक्का पहुंचाया है, इससे देश की एकता प्रभावित होगी। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए।’