अहमदाबाद: ऐसे समय पर जब देश में धर्म के नाम पर अफवाहे फैलाने का ट्रेंड चल रहा है और लोगों को धर्म विशेष के खिलाफ भड़काया जा रहा. तब गुजरात से मानवता की मिसाल वाला अनोखा उदाहरण देखने को मिला है. राज्य के अमरेली जिले के सवरकुंडला शहर में तीन मुस्लिम भाईयों ने अपने पापा के ब्राह्मण दोस्त की मौत पर उनका पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ दाह संस्कार किया. जैसा कि वह चाहते थे.
इन मुस्लिम भाईयों के अंकल का नाम भानुशंकर पांड्या था और उनका कोई परिवार नहीं था. वह कई सालों से मुस्लिम परिवार के साथ रह रहे थे. उनका दाह संस्कार करने वाले मुस्लिम भाईयों का नाम अबु, नजीर और जुबैर कुरैशी हैं. उनका परिवार काफी रूढ़िवादी है और वह दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. वह दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और आज तक कभी रमजान का उपवास नहीं छोड़ा है.
धोती और जनेऊ किया धारण
पांड्या की मौत के बाद उनका दाह संस्कार करने के लिए शनिवार को उन्हें धोती पहनने और जनेऊ धारण करने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जुबैर ने कहा, ‘जब भानुश्कर अकंल मृत शय्या पर थे तो हमने उनके लिए हिंदू परिवार से गंगा जल मांगा. हमने अपने पड़ोसियों को बताया कि हम ब्राह्मण परिवार के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करना चाहते हैं. हमें बताया गया कि अर्थी उठाने के लिए जनेऊ धारण करना जरूरी होता है, हम इसके लिए राजी हो गए. ‘
40 साल पहले पापा से हुई थी अकंल की मुलाकात
नसीर के बेटे अरमान ने चिता को अग्नि दी. नसीर ने कहा, ‘हम 12वें दिन अरमान का सिंर मुंडवाएंगे क्योंकि हिंदू इस रिवाज को मानते हैं. ‘ इन भाईयों के पिता का नाम भिखू कुरैशी था. उनकी और पांड्या का मुलाकात 40 साल पहले तब हुई थी जब वह मजदूर थे. कुरैशी की तीन साल पहले मौत हो गई. जिससे पांड्या टूट गए थे. अबु ने कहा, ‘पांड्या अकंल का परिवार नहीं था. इसलिए जब कई साल पहले उनका पैर टूटा तो हमारे पिता ने उन्हें हमारे साथ रहने को कहा. वह हमारे परिवार का हिस्सा बन गए. ‘
दिल से मनाते थे ईद का त्योहार
नसीर ने कहा, ‘हमारे बच्चे उन्हें दादा कहकर बुलाते थे और हमारी पत्नियां उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेती थीं. अंकल पूरे दिल से ईद का त्योहार मनाते थे. वह बच्चों के लिए कभी तोहफे लाना नहीं भूलते थे. ‘ जब तक भानुशंकर जिंदा रहे कुरैशी के परिवार ने उनके लिए हमेशा शाकाहारी खाना बनाया. अमरेली जिले के ब्रह्म समाज के उपाध्यक्ष पराग त्रिवेदी ने कहा, ‘हिंदू रीति-रिवाजों से भानुशंकर का अंतिम संस्कार करने से अबु, नसीर और जुबेर ने सांप्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल कायम की है. ‘
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