नई दिल्ली, 21 जून : तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा प्रस्तावित विधेयक, तत्काल तीन तलाक की प्रथा को समाप्त कर देगा।
मंत्री ने कहा, “लोगों ने हमें कानून बनाने के लिए चुना और ऐसा करना हमारा कर्तव्य है। यह कानून है कि तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाया जाए।”
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कांग्रेस कर रही है विरोध
तीन तलाक विरोधी विधेयक पर कांग्रेस ने कहा कि विधेयक में अभी भी कुछ ऐेसे मुद्दे हैं जिन पर वह चर्चा करेगी और विरोध भी करेगी। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ”हमने तीन तलाक पर कई बुनियादी बातें उठाई थी। उनमें से कई मुद्दों पर सरकार ने हमारी बात मानी…..अगर सरकार पहले तैयार हो जाती तो बहुत समय बच जाता। उन्होंने कहा, ”अभी भी एक या दो मुद्दे हैं जैसे परिवार की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना। इन मुद्दों पर हम चर्चा करेंगे और विरोध भी करेंगे।
नीतीश भी पक्ष में नहीं
हालांकि, भाजपा की सहयोगी जदयू ‘तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) विधेयक का विरोध कर रही है। जदयू का कहना है कि बगैर व्यापक परामर्श के मुसलमानों पर कोई भी विचार नहीं थोपा जाना चाहिए। जदयू प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने एक बयान में कहा, ”जदयू समान नागरिक संहिता पर अपने पहले के रूख को दोहराता है। हमारा देश विभिन्न धर्मों के समूहों के लिए कानून और शासन के सिद्धांतों के संदर्भ में एक बहुत ही नाजुक संतुलन पर आधारित है। हालांकि, बयान में तीन तलाक विधेयक का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है। लेकिन जदयू सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक समान नागरिक संहिता पर उनके रूख के केंद्र में है क्योंकि भाजपा ने मुसलमानों की तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में डालने पर अक्सर जोर दिया है।
विपक्ष खड़ा करेगा मुश्किल
गौरतलब है कि मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल के दौरान तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में अटक गया था क्योंकि वहां उसके पास जरूरी संख्या बल नहीं हैं। उच्च सदन में इसे पारित कराने के लिए सरकार को गैर-राजग दलों के समर्थन की भी जरूरत होगी। हालांकि, जदयू जैसे सहयोगी दलों के साथ- साथ विपक्ष द्वारा राज्य सभा में इसके समक्ष मुश्किलें खड़ी करने की संभावना है।