गुरुग्राम: हरियाणा की गुरुग्राम पुलिस ने एक रैकेट के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है, जिसने कैब ड्राइवरों को एमसीडी के 700 नकली स्टिकर कम कीमत पर बेचकर रजोकरी सीमा के टोल ऑपरेटर को लाखों रुपये का चूना लगाया. रैकेट के सरगना सत्यव्रत कुंडू को उसके जन्मस्थान रोहतक से गुरुवार को गिरफ्तार किया गया.
जांच के दौरान उसने खुलासा किया कि उसने 1200 फर्जी स्टिकर (टोल पास) दिल्ली में एक प्रिटिंग प्रेस में अपनी महिला सहयोगी की मदद से बनाए और उन्हें सस्ती दरों पर निजी कैब ड्राइवरों को बेचा.
एक अधिकारी ने बताया कि एमसीडी ने टोल पास स्टिकर के लिए मासिक शुल्क 3000 रुपये तय किया है.
कुंडू और सहयोगियों के घोटाले का तीन सितम्बर को पता चला था जब छह कैब ड्राइवरों को नकली स्टिकरों के साथ पकड़ा गया. उन्होंने इसे 2300 रुपये में खरीदा था.
इसके बाद पुलिस में मामला दर्ज किया गया. उन ड्राइवरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई क्योंकि वे सस्ता स्टिकर खरीदने में खुद ही ठगी का शिकार हुए थे.
गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ सुभाष बोकन ने कहा, “जांच के दौरान पता चला कि आरोपी ने कैब एग्रीगेटर (उबेर) से भी स्टिकर की बिक्री के लिए संपर्क किया था. कंपनी ने कुंडू का नाम और तस्वीर मुहैया कराई.”
जांच के दौरान कुंडू ने कहा कि मूल योजना उसकी महिला सहयोगी ने बनाई थी, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा है. उसने चंचल और राकेश नाम के लोगों को भी काम पर रखा.
गुरुग्राम पुलिस ने इस मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें कुंडू, चंचल, राकेश और पांच कैब ड्राइवर्स शामिल है. उन्होंने फर्जी स्टिकरों के जरिए कंपनी को 21 लाख रुपये का चूना लगाया. कुंडू की गर्लफ्रेंड और प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारी की तलाश जारी है.