झारखण्ड: शिक्षा न्यायाधिकरण(संशोधन) अधिनियम 2017 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने कि मांग करते हुए अभिभावक मंच निजी स्कूलों द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे हैं फीस को लेकर चिंतित है।
उस मामले में विस्तृत जानकारी देते हुए अभिभावक मंच के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि झारखंड सरकार के द्वारा सभी कोटी के निजी विद्यालय के शुल्क संग्रहण को विनियमित करने हेतु झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के द्वारा कानून लागू कर दिया गया है। तथा विधि (विधान) विभाग द्वारा 26 अक्टूबर 2018 को ही अनुसूचित कर दी गई है एवं झारखंड सरकार द्वारा झारखंड गजट में भी दिनांक 7 जनवरी 2019 को प्रकाशित करते हुए प्रकाशन की तिथि से 7 जनवरी 2019 ही से पूरे राज्य में प्रभावी कर दिया गया है।
राय ने बताया कि झारखंड अभिभावक मंच के द्वारा उपर्युक्त संदर्भित आवेदन के साथ अधिनियम की छाया प्रति संलग्न कराते हुए विधि सम्मत कार्यवाही करते हुए जल्द से जल्द भवदीय की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी कागठन करने का आग्रह किया गया था साथ ही स्कूल के स्तर पर शिक्षक-अभिभावक एसोसिएशन का गठन कराते हुए शुल्क निर्धारण कमेटी का गठन कराने का भी आग्रह किया था।
परंतु अब-तक इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है। जिसके कारण सभी कोटी के निजी विद्यालय प्रबन्धको के द्वारा झारखण्ड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए शैक्षणिक सत्र 2019 – 20 के लिए नियम बिरुद्ध सभी प्रकार के शुल्क मे अत्यधिक वृद्धि कर दी गई है। जिसके कारण सभी अभिभावक हताश और परेशान हैं। भगत सिंह ने इस संदर्भ में यह मांग की है कि जल्द से जल्द निर्णय लेते हुएअधिसूचना के आलोक में जिला स्तरीय कमेटी,शिक्षक-अभिभावक एसोसिएशनके साथ-साथ शुल्क निर्धारण समिति (स्कूल के स्तर पर) गठित करने की कृपा करेंगे। चुकी राज्य सरकार के द्वारा दिये जाने वाले अनापत्ति प्रमाण पत्र भी सीबीएसई / आईसीएसई की संबद्धता नियमावली है। इसलिए संबद्धता नियमावली के प्रावधानों के तहत समय-समय पर निर्गत पत्र / Circular का अनुपालन कराना सुनिश्चित करेगे ताकि स्कूल की मनमानी पर रोक लगाया जा सके । विलंब की स्थिति में सभी स्कूल प्रबन्धको के साथ-साथ झारखण्डशिक्षान्यायाधिकरण(संशोधन) अधिनियम 2017 के प्रावधानों के तहत सभी नामित सदस्यो के बिरुद्ध मा॰झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के समक्ष शिकायत दर्ज कराना झारखण्ड अभिभावक मंच की बाध्यता होगी ।